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कमिश्नरेट प्रणाली को कारगर बनाने में अव्वल साबित हुए डीके ठाकुर, लखनऊ में कम हुआ अपराध का ग्राफ

योगी सरकार ने जहरीली शराबकांड के बाद 17 अक्टूबर 2020 को पहले पुलिस कमिश्नर सुजीत पांडे का रातोंरात ट्रांसफर कर दिया था और ध्रुव कांत ठाकुर को राजधानी की कमान सौंपी गई थी। 18 नवंबर 2020 को उन्होंने चार्ज ग्रहण किया था।

रजत के.मिश्र, Twitter - rajatkmishra1
  • Nov 23 2021 11:16PM

इनपुट-ज्ञानेश लोहानी, लखनऊ

 
यूपी की राजधानी के दूसरे पुलिस कमिश्नर डीके ठाकुर ने अपने कार्यकाल के एक साल को बखूबी पूरा किया है। योगी सरकार ने जहरीली शराबकांड के बाद 17 अक्टूबर 2020 को पहले पुलिस कमिश्नर सुजीत पांडे का रातोंरात ट्रांसफर कर दिया था और ध्रुव कांत ठाकुर को राजधानी की कमान सौंपी गई थी। 18 नवंबर 2020 को उन्होंने चार्ज ग्रहण किया था। 
 
पुलिस अधिकारियों में है अलग पहचान-
 
बता दें एटीएस के एडीजी डीके ठाकुर साल 1994 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। इससे पहले वह राजधानी लखनऊ के एसएसपी रह चुके हैं। बीएसपी चीफ मायावती के शासनकाल में ठाकुर लखनऊ के एसएसपी और डीआईजी के पद पर तैनात थे। उन्होंने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) में भी काम किया है। बताया जाता है कि पुलिस अधिकारियों में ठाकुर की अलग पहचान है। जब वह लखनऊ में तैनात थे तब लोगों की शिकायतों को सुनने के लिए 10 बजे से शाम पांच बजे तक उपलब्ध रहते थे।
 
क्राइम तथा लॉ ऐंड ऑर्डर पर किया शानदार काम-
 
राजधानी में अपने सवा साल से ज्यादा के कार्यकाल में उन्होंने क्राइम तथा लॉ ऐंड ऑर्डर पर शानदार काम किया था। वह नियमित रूप से दफ्तर में बैठकर सालों से लंबित मामलों को निपटाते थे। उन्होंने राजधानी में 6 नए थानों का प्रस्ताव भी तैयार किया था। शासन से आदेश मिलने के बाद पीजीआई, गौतमपल्ली, जानकीपुरम, पारा चौकी, विभूति खंड और इंदिरानगर की स्थापना कराई थी। साथ ही उन्होंने ऐंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट में भी थाने की तर्ज पर काम शुरू कराया।
 
गौरतलब है कि डीके ठाकुर के आने से लखनऊ का पुलिस सिस्टम काफी हद तक सुधरा है। उनके आने से राजधानी में अपराध का ग्राफ कम हुआ है। दरअसल जिस वक्त योगी सरकार ने लखनऊ और गौतमबुद्धनगर में कमिश्नरी प्रणाली लागू किया था। तब राजधानी की जिम्मेदारी सुजीत पांडे को सौंपी थी। कुछ दिन तो उनके कार्य की सराहना हुई लेकिन राजधानी में एक के बाद एक हुए ताबड़तोड़ बड़ी घटनाओं से जब सरकार की फजीहत होने लगी तो उन्होंने सुजीत पांडे का ट्रांसफर कर डीके ठाकुर को लखनऊ की कमान सौंपी।
 
...और उम्मीदों पर खरे उतरे डीके ठाकुर- 
 
सरकार की मंशा के मुताबिक डीके ठाकुर ने शानदार कार्य करते हुए राजधानी में अपराधिक घटनाओं पर लगाम कसने में काफी हद तक सफलता हासिल की है। डीके ठाकुर के एक साल के कार्यकाल में करीब आठ दर्जन से अधिक अपराधियों पर गैंगस्टर के तहत कार्रवाई की गई। इसके अलावा कई दर्जन अपराधियों को जिला बदर किया गया है। साथ ही अपराधियों की करोड़ों की संपत्तियों को कुर्क किया गया। 

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