संविधान दिवस के मौके पर पर शुक्रवार को संसद के केंद्रीय कक्ष में आयोजित कार्यक्रम
को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने संसद को ‘लोकतंत्र का मंदिर' का मंदिर बताया है। इस दौरान उन्होंने कहा कि हर सांसद की यह जिम्मेदारी है कि वे संसद में उसी भावना
के साथ आचरण करें, जिसके साथ वे अपने पूजा-गृहों और इबादतगाहों में करते
हैं तथा मतभेद को जनसेवा के वास्तविक उद्देश्य के मार्ग में बाधा नहीं बनने
दें।
साथ ही उन्होंने कहा कि कहा कि ग्राम सभा, विधानसभा और संसद के
निर्वाचित प्रतिनिधियों की केवल एक ही प्राथमिकता होनी चाहिए। उन्होंने कहा
कि वह प्राथमिकता अपने क्षेत्र के सभी लोगों के कल्याण के लिए और
राष्ट्रहित में कार्य करना है।
उन्होंने कहा कि विचारधारा में मतभेद
हो सकते हैं, लेकिन कोई भी मतभेद इतना बड़ा नहीं होना चाहिए कि वह जन सेवा
के वास्तविक उद्देश्य में बाधा बने। कोविंद ने कहा कि सत्ता पक्ष और
प्रतिपक्ष के सदस्यों में प्रतिस्पर्धा होना स्वाभाविक है, लेकिन यह
प्रतिस्पर्धा बेहतर प्रतिनिधि बनने और जन-कल्याण के लिए बेहतर काम करने की
होनी चाहिए और तभी इसे स्वस्थ प्रतिस्पर्धा माना जाएगा।
राष्ट्रपति
ने कहा,‘‘संसद में प्रतिस्पर्धा को प्रतिद्वंद्विता नहीं समझा जाना
चाहिए।’’ उन्होंने कहा,‘‘हम सब लोग यह मानते हैं कि हमारी संसद 'लोकतंत्र
का मंदिर' है। अतः हर सांसद की यह जिम्मेदारी बन जाती है कि वे लोकतंत्र के
इस मंदिर में श्रद्धा की उसी भावना के साथ आचरण करें, जिसके साथ वे अपने
पूजा गृहों और इबादतगाहों में करते हैं।’’
उन्होंने कहा कि पश्चिम के
कुछ विद्वान यह कहते थे कि भारत में वयस्क मताधिकार की व्यवस्था विफल हो
जाएगी, लेकिन यह प्रयोग न केवल सफल रहा, बल्कि समय के साथ और मजबूत हुआ है
और यहां तक कि अन्य लोकतंत्रों ने भी इससे बहुत कुछ सीखा है। कोविंद ने
कहा, ‘‘हमारी आज़ादी के समय, राष्ट्र के समक्ष उपस्थित चुनौतियों को यदि
ध्यान में रखा जाए, तो ‘भारतीय लोकतंत्र’ को निस्संदेह मानव इतिहास की सबसे
बड़ी उपलब्धियों में से एक माना जा सकता है।’’
राष्ट्रपति ने कहा कि
इसी केंद्रीय कक्ष में 72 वर्ष पहले संविधान निर्माताओं ने स्वाधीन भारत
के उज्ज्वल भविष्य के दस्तावेज को यानि हमारे संविधान को अंगीकार किया था
तथा भारत की जनता के लिए आत्मार्पित किया था। उन्होंने कहा कि लगभग सात दशक
की अल्प अवधि में ही, भारत के लोगों ने लोकतान्त्रिक विकास की एक ऐसी
अद्भुत गाथा लिख दी है, जिसने समूची दुनिया को विस्मित कर दिया है।
राष्ट्रपति
रामनाथ कोविंद ने लोकतंत्र पर ऑनलाइन प्रश्नोत्तरी के पोर्टल की शुरुआत भी
की। गौरतलब है कि संविधान दिवस 26 नवंबर को मनाया जाता है, क्योंकि 1949
में इसी दिन संविधान सभा ने भारत के संविधान को अंगीकार किया था। संविधान
दिवस की शुरुआत 2015 से की गई थी। भारत का संविधान 26 जनवरी, 1950 को लागू
हुआ था।