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सब्जियों पर थूकने की FIR दर्ज करवाने वाला UP पुलिस सिपाही योगीराज में सस्पेंड.. लगाया जा रहा मुस्लिम विरोधी होने का आरोप

उत्तर प्रदेश के पीलीभीत की है ये सनसनीखेज घटना जिसमे एक पक्ष ने मचा दिया कोहराम.

राहुल पाण्डेय
  • May 27 2020 8:00PM

ये घटना हर किसी को हैरान कर देगी. कहना भी गलत नहीं होगा कि अब शायद ही कोई ऐसे मामले को देश और दुनिया के आगे रख पाने की हिम्मत करेगा.. कई जगहों पर फलों और सब्जियों पर थूकने आदि के साथ ठेले वालों द्वारा अपना नाम गलत बताने आदि के मामले में एकतरफा एकपक्षीय कार्यवाही की गई और शायद सीधे तौर पर इशारे में ये कहा गया कि जो हो रहा था उसको होने क्यों नहीं दिया. अब मामला आया है उत्तर प्रदेश यानि कि योगीराज के जिला पीलीभीत से जहाँ पर एक पुलिस कांस्टेबल को ही दोषी मान कर कर डाली गई है कार्यवाही..

इतना ही नहीं , बाकी अन्य पुलिसकर्मियों पर भी चलाए गये हैं चाबुक और लिया गया है ऐसा कडा निर्णय कि संभवतः अब कोई भी ऐसी सूचना या शिकायात तब ही करेगा जब उसके पास प्रमाण के तौर पर साक्षात भगवान् ही होंगे.. ध्यान देने योग्य है कि उत्तर प्रदेश के जिला पीलीभीत में उस पुलिस कांस्टेबल को सस्पेंड कर दिया गया है जिसमे 5 लोगों पर एक साथ जमा होने और सब्जी पर थूकने की FIR दर्ज करवाई थी. इतना ही नही , मिल रही जानकारी के अनुसार इस मामले में एक अन्य पुलिस सब इंस्पेक्टर को लाईन हाजिर भी कर दिया गया है.

ये मामला है उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले का जहाँ के जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक पिछले कुछ समय पहले लाक डाउन में भीड़ के साथ घंटे और थाली आदि बजाने के लिए चर्चा में आये थे. यद्दपि उस समय भी सुदर्शन न्यूज़ ने इन दोनों के खिलाफ चल रही एकतरफा खबरों के पीछे छिपा सच सबके सामने ला दिया था लेकिन इस बार जो कुछ भी उसी जिले में हुआ है वो और भी हैरान कर देने वाला है. विदित हो कि एक बार फिर से उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले की पुलिस अपने ही चलते सवालों के घेरे में आ गई है। 

अपने निर्धारित किये गये इलाके में हर प्रकार की आपराधिक हरकत को सख्ती से रोकने वाला एक तेज तर्रार पुलिस कांस्टेबल अंकित कुमार सस्पेंड कर दिया गया है क्योंकि बताया जा रहा है कि जिले के कबिल और वरिष्ठ अधिकारियो ने अपनी जांच में पाया है कि सिपाही ने कुछ मुस्लिमो के खिलाफ झूठी रिपोर्ट दर्ज करवा दी.. ऐसे में तत्काल ही न सिर्फ सिपाही को सस्पेंड कर दिया गया बल्कि एक सब इंस्पेक्टर को लाइन हाजिर करते हुए थानाध्यक्ष तक आंच पहुचा दी गई और FIR क्यों किया इस पर घमासान शुरू कर दिया गया है.
 
ध्यान देने योग्य है कि पीलीभीत शहर कोतवाली इलाके के 'तेज तर्रार' माने जाने कांस्टेबल अंकित कुमार ने 15 मई को अपने ही तैनाती थाने में एक एफआईआर दर्ज करवाई थी। सिपाही अंकित ने थाने के राजिस्टर में अंकित करवाया कि वो दोपहर में लॉकडाऊन के दौरान गश्त पर था। इस दौरान जब वो शहर कोतवाली के शरीफ़ खान चौराहे पर पहुंचा तो उसने देखा कि पांच लोग बिना मास्क के खड़े थे. इतना ही नहीं, वो वहां बिक रही सब्जी पर थूक रहे थे.. पूछताछ के बाद वो वहां से भागने लगे जिसके बाद अंकित ने थाने में आ कर उनकी FIR दर्ज करवाते हुए आगे की विधिक कार्यवाही शुरू कर दी. अंकित की तहरीर पर थाना प्रभारी श्रीकांत द्विवेदी ने FIR दर्ज कर ली और विवेचना शुरू कर दी. जिन पांच लोगों के विरुद्ध यह एफआईआर दर्ज हुई उनके नाम वसीम, अज़मतीन, उवेश इनुदीन और क़ादिर शाह थे।

सूत्रों के अनुसार तब इसके बाद अचानक ही इस मामले में समाजवादी पार्टी की इंट्री होना बताया जा रहा है. सिपाही अंकित बताता रहा कि वो सभी 5 लोग घटनास्थल से तब भागे जब उनसे उनके नाम पूछ लिए गये और उस समय अंकित संख्या बल में भी कम था लेकिन संभवतः कांस्टेबल अंकित की ये बात नहीं मानी गई. समाजवादी पार्टी की इंट्री होते ही इस मामले में अंकित को मुस्लिम विरोधी घोषित किया जाने लगा और जमकर नेतागीरी शुरू हो गई. जैसे ही नेतागीरी शुरू हुई वैसे ही अधिकारी हरकत में आये और उन्होंने इस मामले में कड़ी कार्यवाही शुरू कर दी. आनन फानन में इलाके के ठेका चौकी इंचार्ज संजीव कुमार और सिपाही अंकित को लाइन हाज़िर कर दिया गया। यहाँ तक कि संभवतः अब तक की सबसे तेज कार्यवाही करते हुए FIR दर्ज करने वाले थाना प्रभारी श्रीकांत द्विवेदी के विरोध जांच बैठा दी गई। 

इस मामले में जिलाधिकारी डीएम वैभव श्रीवास्तव और एसपी अभिषेक दीक्षित दोनों ने जबर्दस्त तेजी दिखाई . फौरन ही मामले का संज्ञान लिया गया और उन पांचो के खिलाफ दर्ज FIR को भी तुरंत रद्द कर दिया गया .. इस घटना पर समाजवादी पार्टी नेता हाजी रियाज़ अहमद की बात भी प्रकाश में आई जिसमे उन्होंने कहा था कि "जिन पांच लोगों को सब्जी के थूकने के इल्जाम में नामजद किया गया इनमें से एक ने भी अपनी जिंदगी में सब्जी नही बेची। समाजवादी नेता का कहना है कि जिस इलाके में यह थूकने की घटना घटित होना बताई गई, वहां कोई सब्जी की दुकान ही नहीं है। जिन पांच लोगों को इकट्ठा मुक़दमे में नामज़द किया गया ये सब उस दिन आपस मे मिले ही नही!

इतना ही नहीं, समाजवादी पार्टी के नेता ने अपनी तरफ से ये सारी कहानी फ़र्ज़ी घोषित कर दी और बताया कि योगीराज में ये सब मुस्लिम समुदाय को बदनाम करने के लिए रची गई थी। सबसे खास बात ये है कि पुलिस के सिपाही द्वारा FIR दर्ज करवाना ही उन्हें हैरत का विषय लगा.. मामल को तूल देते हुए इंस्पेक्टर कोतवाली पर भी ऊँगली उठाई गई और उनके खिलाफ कहा गया कि उन्होंने जांच नही की, न अपना विवेक लगाया। आख़िरकार सिपाही इस मामले में अकेला पड़ गया और अपने तथ्यों को साबित करने के लिए वो सबूत नहीं दे सका जो उसको बचा सकें. 

आख़िरकार पीलीभीत के SSP ने सिपाही अंकित को सस्पेंड कर दिया, जब इतने पर भी एक खास वर्ग का आक्रोश शांत होता नहीं दिखा तो उन्होंने चौकी इंचार्ज को भी लाइन हाज़िर कर दिया. जब इतने पर भी खास वर्ग खुश नही हुआ तो उन्होंने इंस्पेक्टर कोतवाली के विरुद्ध जांच के आदेश कर दिए। खास बात ये रही कि इस पूरे मामले में जिला कप्तान ने स्वयं जांच कराई. लेकिन इस मामले में कुछ ऐसे भी सवाल हैं जो अभी तक अनुत्तरित हैं. यद्दपि सवाल पुलिसकर्मी से जुड़े हैं इसलिए संभवतः उतने जोर शोर से न उठ पायें जिस जोर शोर से वसीम, अज़मतीन, उवेश इनुदीन और क़ादिर शाह की आवाज उठ गई. 

सवाल १- 
बड़े से बड़े अपराधी को दोषी मानने से पहले घटना का का MOTIVE खोजने वाली पुलिस ने अंकित का क्या वजह तय की कि वो 5 लोगों पर बेवजह FIR क्यों दर्ज करेगा ?

सवाल २ -
अंकित अपने तथ्यों के पर्याप्त सबूत नहीं दे पाया. अंकित के पास उनके कोई विडियो आदि नहीं मिले.. कांस्टेबल अंकित अपने तथ्यों के सबूत दे इसके लिए अंकित के पास विकल्प या उपकरण क्या थे ? क्या अंकित को वेबकैम आदि दिए गये थे ? या अंकित 5 लोगों को सम्भालते हुए अपना मोबाईल भी ऑन रखता एक हाथ से ?

सवाल 3- 
थाना प्रभारी पर FIR दर्ज करने का दोष बताते हुए सवाल खड़े करने वालों को अब आने वाले FIR में क्या नियम क़ानून चाहिए ? क्या अब उन ख़ास लोगों और उनके समर्थको पर FIR दर्ज करवाने के लिए कोई विशेष प्रावधान बनाये जायेंगे ?

सवाल 4 - 
चौकी इंचार्ज को लाइन हाजिर क्यों किया गया ? 

सवाल 5 - 
आगे से क्या जब कोई ऐसे मामलों में मुकदमा दर्ज करवाने जाय तो वही मामले दर्ज होंगे जिसके वीडियो इत्यादि मौजूद होंगे ? 

सवाल 6- 
अंकित का किसी से कोई व्यक्तिगत द्वेष नहीं था , कांस्टेबल अंकित इस से पहले किसी भी प्रकार की हिन्दू मुस्लिम गतिविधि में शामिल नहीं मिला था.. अंकित का सोशल मीडिया प्रोफाइल भी ऐसा कुछ नहीं बताता .. फिर अंकित को मुस्लिम विरोधी कहने वालों पर क्या कार्यवाही की गई ? और अंकित बिना किसी व्यक्तिगत द्वेष के ये कार्यवाही क्यों करेगा ?

सवाल 7 - 
अंकित को मुस्लिम विरोधी कहने वाले उनके खिलाफ ऐसा कौन सा सबूत दे पाए जिसके बाद कांस्टेबल सस्पेंड कर  दिया गया  ?  

पीलीभीत में तैनात रहे पूर्व डिप्टी एसपी जगतराम जोशी कहते हैं कि उन्होंने यहां इस शहर में ही बतौर सीओ सेवा दी है जहां तक वो समझते हैं वहां लोग बिल्कुल भी साम्प्रदयिक नही है।पुलिस पर एक वर्ग विशेष के उत्पीड़न के आरोप सही नही हैं। हाल के दिनों में पुलिस ने अत्यधिक सम्मान अर्जित किया है। एक-दो मामले में चूक हो सकती है मगर कोई परसेप्शन नही बनाया जाना चाहिए। पीलीभीत की घटना दुर्भाग्यपूर्ण है। हाजी रियाज़ अहमद इस पर सहमति जताते हुए कहते हैं कि खुद इस मामले में स्थानीय बहुसंख्यक आबादी ने पुलिस द्वारा फर्जी मामला बनाये जाने का विरोध किया। समस्या लोगों में नहीं है सिस्टम में है।

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