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जीत की खुशी में और चटक होगी गोरक्षपीठ की होली,नृसिंह शोभायात्रा में इस परंपरा को निभाएंगे CM योगी

शानदार जीत की खुशी में इस बार और चटक होगा होली का रंग,आसमान से बरसेगा रंग और हवा में उड़ेगा गुलाल, होलिकादहन जुलूस गुरुवार देर शाम व भगवान नृसिंह होलिकोत्सव शोभायात्रा शनिवार को निकलेगी

रजत के.मिश्र, Twitter - rajatkmishra1
  • Mar 16 2022 3:16PM

इनपुट-श्वेता सिंह,लखनऊ

 
रंगों के त्योहार होली पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में निकलने वाली होलिका दहन शोभायात्रा एवं भगवान नरसिंह शोभायात्रा में इस बार चुनाव में हासिल प्रचंड बहुमत का रंग देखने को मिलेगा। 
 
अभूतपूर्व विजय जुलूस बनाने के लिए जोरदार तैयारियां-
 
सामाजिक समरसता का स्नेह बांटने के लिए ही गोरक्षपीठाधीश्वर दशकों से होलिकोत्सव-भगवान नृसिंह शोभायात्रा में शामिल होते रहे हैं। इस बार इस शोभायात्रा में सीएम योगी को विधानसभा चुनाव में मिले प्रचंड बहुमत का रंग भी खूब बरसता दिखेगा। 1996 से 2019 तक शोभायात्रा का नेतृत्व करने वाले योगी गत दो होलिकोत्सव लोगों को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए इसमें शामिल नहीं हुए थे। सफल कोरोना प्रबंधन का पूरी दुनिया में लोहा मनवाने और इस वैश्विक महामारी को पूरी तरह काबू में करने के बाद सीएम योगी 17 मार्च की शाम पांडेहाता से निकलने वाले होलिका दहन जुलूस और 19 मार्च की सुबह घण्टाघर से निकलने वाली भगवान नृसिंह होलिकोत्सव शोभायात्रा में सम्मिलित होंगे। शोभायात्रा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भाजपा को मिली कामयाबी का अभूतपूर्व विजय जुलूस बने, इसे लेकर जोरदार तैयारियां की गई हैं।
 
...और इस तरह होती है गोरखनाथ मंदिर में होली की शुरुआत-
 
गोरक्षपीठाधीश्वर की अगुवाई में गोरखनाथ मंदिर में होलिकोत्सव की शुरुआत होलिकादहन या सम्मत की राख से तिलक लगाने के साथ होती है। इस परंपरा में एक विशेष संदेश जुड़ा होता है। होलिकादहन की राख से तिलक लगाने के पीछे का मन्तव्य है भक्ति की शक्ति को सामाजिकता से जोड़ना। इस परिप्रेक्ष्य में गोरक्षपीठाधीश्वर एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का यह कथन सतत प्रासंगिक है, "भक्ति जब भी अपने विकास की उच्च अवस्था में होगी तो किसी भी प्रकार का भेदभाव, छुआछूत और अस्पृश्यता वहाँ छू भी नहीं पायेगी।" 
 
इन्होंने की थी रंगोत्सव शोभायात्रा की शुरूआत-
 
बता दें गोरखपुर में भगवान नृसिंह रंगोत्सव शोभायात्रा की शुरुआत अपने गोरखपुर प्रवासकाल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक नानाजी देशमुख ने 1944 में की थी। गोरखनाथ मंदिर में होलिकादहन की राख से होली मनाने की परंपरा इसके काफी पहले से जारी थी। नानाजी का यह अभियान होली के अवसर पर फूहड़ता दूर करने के लिए था। नानाजी के अनुरोध पर इस शोभायात्रा का गोरक्षपीठ से भी गहरा नाता जुड़ गया। ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ के निर्देश पर महंत अवेद्यनाथ शोभायात्रा में पीठ का प्रतिनिधित्व करने लगे और यह गोरक्षपीठ की होली का अभिन्न अंग बन गया। पांच किलोमीटर से अधिक दूरी तय करने वाली शोभायात्रा में पथ नियोजन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता करते हैं और भगवान नृसिंह के रथ पर सवार होकर गोरक्षपीठाधीश्वर रंगों में सराबोर हो बिना भेदभाव सबसे शुभकामनाओं का आदान-प्रदान करते हैं।

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