इनपुट- रजत के. मिश्र, लखनऊ,Twitter - rajatkmishra1
प. बंगाल में पंचायत चुनाव में हुई हिंसा में एक दिन में लगभग 20 से अधिक लोगों की जान चली गई। चुनाव प्रक्रिया शुरू होने के बाद से यह आंकड़ा लगभग 40 का है। वहां वोटों की बारिश की बजाय बम और गोलियां चलीं। बैलेट की बजाय बुलेट चलते रहे। एक तरफ ममता बनर्जी के राज में बंगाल अराजक हो गया तो दूसरी तरफ योगी का यूपी देश के लिए नजीर है।
देश का सबसे बड़ा राज्य होने के बावजूद यहां लोकसभा से लेकर हाल में संपन्न हुए नगर निकाय चुनाव तक में एक भी सीट पर मामूली से मामूली हिंसा तक नहीं हुई। शांतिपूर्ण चुनाव और बड़े आयोजनों से योगी की प्रसिद्धि देश के हर कोने तक पहुंच गई। लोकसभा की 80 और विधानसभा की 403 सीटों पर शांतिपूर्ण चुनाव योगी के प्रति जनआस्था का प्रतीक भी है।
लहुलूहान हो गया प. बंगाल, ममता सरकार कुंभकर्णी नींद में-
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में प. बंगाल लहुलूहान हो गया। लोकतंत्र के इस उत्सव में जहां लोगों की रूचि रुझान जानने में होती है, वहीं प. बंगाल में इसके विपरीत सुबह से ही हिंसा होती रही। बूथों पर कब्जे हुए, जगह-जगह झड़प हुई, मतपत्र लूट लिए गए। सिर्फ एक दिन में ही 20 से अधिक और इस चुनाव प्रक्रिया के दौरान कुल लगभग 40 से अधिक लोगों की जान जाने और लगभग 100 के आसपास घायल होने की सूचना है, लेकिन ममता बनर्जी की सरकार कुंभकर्णी नींद में सोई हुई है। तृणमूल कांग्रेस के समर्थकों पर मतपेटी लेकर भागने व जलाने का भी आरोप है। यहां बैलेट पेपर पानी में तैरते मिले तो देर रात पुलिस की गाड़ी में आग लगा दी गई। हिंसा के प्रदेश प. बंगाल में खुलेआम चल रहीं गोलियों-बम से देश भी शर्मसार हो गया। केंद्रीय बलों की तैनाती के बाद भी हुई ऐसी घटनाएं ममता बनर्जी के लिए कलंक हैं।
मुर्शिदाबाद में सर्वाधिक मौतें हुईं-
प. बंगाल में ग्राम पंचायत, जिला परिषद व पंचायत समिति की करीब 64 हजार सीटों पर मतदान हुआ। इनमें हिंसा की जबर्दस्त घटनाएं हुईं। सुरक्षा बलों की तैनाती के बाद भी काफी हिंसा हुई। यहां सर्वाधिक मौतों की सूचना मुर्शिदाबाद से प्राप्त हुई। यहां पांच लोगों की मौत की सूचना है। वहीं मालदा, पूर्व वर्धमान व कूचबिहार में दो-दो, दक्षिण 24 परगना, उत्तर 24 परगना, नदिया व उत्तर दिनाजपुर में एक-एक से अधिक मौतों की सूचना प्राप्त हो रही है। इसके साथ ही भाजपा समेत अन्य दलों के कार्यकर्ताओं की मौत का भी दावा किया जा रहा है।
यूपी की चुनावी संस्कृति शांति से रंगी है तो बंगाल की खूनी खेल से-
योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में यूपी की चुनावी संस्कृति जहां शांति व सौहार्द के रंग से रंगी है तो वहीं ममता बनर्जी की लचर कार्यप्रणाली के कारण बंगाल में चुनावों में खूनी खेल आम बात है। 25 करोड़ उत्तर प्रदेश वासी जहां चुनावों को लोकतंत्र का उत्सव मानती है तो वहीं लगभग 10 करोड़ आबादी वाले प. बंगाल में हिंसा को आम बना दिया गया है। कई दशकों से अलगाववाद पर बढ़ रहे प. बंगाल में 2018 में हुए चुनाव में भी लगभग दो दर्जन से अधिक लोगों की मौत की बात सामने आई थी। यूपी में अनुमानित 2 लाख से अधिक पोलिंग स्टेशनों पर योगी सरकार शांतिपूर्ण चुनाव कराने में सफल रहती है।
कानून का राज स्थापित होने से हर किसी की जुबां पर योगी-योगी-
2017 के पहले यूपी का हाल भी बहुत बुरा था, लेकिन सत्ता संभालने के बाद योगी आदित्यनाथ ने पुलिसकर्मी को खुली छूट दे दी कि कहीं भी कानून से खिलवाड़ हो तो आप किसी का इंतजार न करें, सीधे कानून बिगाड़ने वालों से निपटें। पुलिस को योगी की मिली यह छूट काफी कारगर रही और अशांत यूपी शांतप्रिय हो गया। यहां कानून का राज स्थापित हो गया। इसका परिणाम यह हुआ कि यूपी से नजरें फेरने वाले उद्योगपति भी यहां उद्योग लगाने को बेताब हो गए। कानून का राज स्थापित होने का परिणाम ही है कि हर किसी की जुबां पर योगी-योगी होने लगा और यूपी को जीआईएस के जरिए 36 लाख करोड़ के निवेश प्राप्त हुए। इससे रोजगार के लाखों अवसर सृजित होंगे और युवाओं के हाथों को काम मिलेगा।