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छबड़ा बारा राजस्थान धूमधाम से मनाई गई भादवा की महाशिवरात्रि पर्व

अकाल मृत्यु वह मरे जो काम करे चांडाल का काल उसका क्या करे जो भक्त हो महाकाल का

पंकज त्रिवेदी
  • Sep 6 2021 11:03AM
छबड़ा बारा राजस्थान धूमधाम से मनाई गई भादवा की महाशिवरात्रि पर्व पूरे नगर में जगह जगह हुए कई धार्मिक आयोजन रुद्री पाठ रूद्र अभिषेक सहस्त्रधारा उसे किया गया भगवान भोलेनाथ का अभिषेक अकाल मृत्यु वह मरे जो काम करे चांडाल का काल उसका क्या करे जो भक्त हो महाकाल का सहस्त्रधारा हूं से किया गया नागेश्वर महादेव का अभिषेक रुद्री पाठ के साथ किया गया अभिषेक नन्हे नन्हे कलाकारों ने किया रात भर भजन संध्या कर जागरण किया गांव में भी छुपी हुई है कई नन्नी प्रतिभा नागेश्वर मूर्ति का प्राकट्य दिनांक 22 अगस्त 1985 को 6 फुट नीम की खुदाई के समय तीखी डूंगरी पर नागेश्वर मूर्ति का प्रकट हुआ कुछ व्यक्तियों का ने इस मूर्ति को औरंगजेब काल की एवं कुछ ने खींची राजाओं के समय की बताई है तो कई बुजुर्गों ने पीपा जी के जमाने की बताई है नगर के बुजुर्गों का मत है कि यहां पर किसी जमाने में काफी जंगल था एवं साधु महात्मा तपस्या करते होंगे यह किसी आपातकालीन स्थिति में मूर्ति के अपमान के भय से इस मूर्ति को गाड़ कर कहीं अन्यत्र चले गए पुरातत्व विभाग के कर्मचारी नेम मूर्ति का परीक्षण कर 25000 वर्ष पुरानी बताई लाई है इस मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा 7 मार्च 91 को हुई इस प्रकार नागेश्वर बाबा के साक्षात प्रकट होकर जनता को दर्शन दिए हम आपको इस शिवलिंग की एक और विशेषता बताते है हम आपको यह भी बता दे यहां पर कल्पवृक्ष और रुद्राक्ष का पेड़ भी देखा जा सकता है भोलेनाथ का काजू किशमिश बादाम और मखाना सहित 5 किलो भांग से श्रृंगार किया गया शिवलिंग की एक और विशेषता यह है कि ऊपर वासुकी नाग देवता नक्काशी के साथ प्रतिमा पर दर्शाए गए हैं भोले बाबा का शिवलिंग दो भागों में विभाजित है जोकि चूड़ियों द्वारा कसा जाता है जोकि पूरे राजस्थान में अपने आप में अलग है इसमें का शिवलिंग कहीं दूसरी जगह देखने को नहीं मिलेगा यहां पर पूरे संभाग से और भी दूरदराज है श्रद्धालु दर्शन हेतु आते हैं यहां पर वर्ष में एक बार नगर पालिका द्वारा तीन दिवसीय मेला भी लगाया जाता है और नाना प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम भी किए जाते हैं कहा जाता है कि यहां पर जो सच्चे दिल से मन्नत मांगता है की मन्नत अवश्य पूरी होती है मंदिर की ओर से दूरदराज से आए हुए श्रद्धालुओं को भोजन सोने उठने बैठने की व्यवस्था की जाती है अभ्यागत और साधु संतों का भी सत्कार मंदिर कमेटी की ओर से किया जाता है यही आपको मठ पुरी संप्रदाय के मैं भी रात्रि जागरण हुआ भजन संध्या हुई इसका भी अपना एक इतिहास है और मठ में प्राचीन काल में जिंदा समाधि ले गई उसकी भी छतरियां देखी जा सकती है यही तीसरी और शंकर की झरी त्रंबकेश्वर महादेव जी मंदिर मैं विराजमान है बताया जाता है कि त्रंबकेश्वर नासिक महाराष्ट्र में जो दर्शन के लाभ और पुण्य प्राप्त होता है वही पुण्य फल यहां दर्शन करने पर प्राप्त होता है और यहां पर कालसर्प योग का निवारण भी उसी मे भी उसी महत्व के साथ किया जाता है और होता है त्रंबकेश्वर महादेव 3 पिंड लिंग स्वरूप विराजमान है जिनको ब्रह्मा विष्णु महेश इन त्रिदेव ओं का प्रतीक माना जाता है और छबड़ा तहसील के अरबपति मंदिरों में गिनती आती है और आपको हम यह भी दर्शन कराएंगे की संध्या दास जी की बावड़ी जो बैरागी संप्रदाय की संपदा मानी जाती है और इसके पास भी करोड़ों की संपत्ति है और नरसिंह महाराज भगवान वह रामेश्वरम भोलेनाथ का पंचायत मंदिर है बुजुर्ग लोग कहते हैं कि यहां पर भी जिंदा समाधि हमारे पूज्यनीय संतो द्वारा ली गई है उनकी भी छतरी देखी जा सकती है यहां की बावड़ी अकेली एक मिसाल है की यहां पर एक भंडारे में घरत कम पड़ गया था तो बावड़ी से पानी लाकर कढ़ाई में डाला और घरत बन गया यानी कि पानी में भी मालपुआ बनते देखा गया लोगों द्वारा यह बिल्कुल सत्य है दर्शन लाभ आपको और भी कराते हैं प्राचीन खींची ओं के जमाने का छबड़ा मैं किला हे जोकि खींची राजाओं द्वारा बनवाया गया था और मान्यता है कि यह किला अजय है यहां भगवान राघवेंद्र की मूर्ति मुगल साम्राज्य में थे पर मुगल साम्राज्य होने के कारण भगवान के सम्मान में कोई ठेस ना पहुंचे इसलिए किले से उठाकर मंदिर के पुजारी के स्वयं के निवास स्थान पर घर में विराजमान करवा दी गई फिर बाद में मुगल साम्राज्य खत्म होने के बाद यहां पर भवानी सिंह एसडीओ के कर कमलों द्वारा नीलकंठ महादेव की स्थापना की गई तत्पश्चात यहां के कुछ धर्म प्रेमी युवा बंधुओं ने शिव पंचायत के प्राण प्रतिष्ठा करवाई यहां पर आपको मंदिर के जस्ट सामने ही मस्जिद देखने को मिलेगी इस प्राचीन धरोहर को जिहादी मानसिकता रखने वाले मुसलमान समाज ने वायरलेस विभाग के दो कमरे और काफी लंबी चौड़ी जगह पर पक्का अतिक्रमण कर अपना साम्राज्य जमा लिया जबकि यह जगह सरकारी और पुरातत्व विभाग की है यहां पर आर एस एस की शाखा भी लगती है बरसों पहले आर एस एस के एक स्वयं सेवक के साथ असामाजिक तत्वों ने मारपीट की थी और उस मारपीट में एक बहुत बड़ा रूप दंगे की आग में जोक दीया तत्पश्चात शासन प्रशासन ने यहां पर तब से लेकर अब तक एक पुलिस चौकी कायम शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए की है भगवान राघवेंद्र भी छबड़ा तहसील के अरबपति मंदिरों में गिनती शुमार है भगवान राघवेंद्र पीपाजी महाराज के आराध्य देव माने जाते हैं खींची ओके आराध्य देव माने जाते हैं गागरोन किला जोकि झालावाड़ लोकसभा क्षेत्र में है और गुगोर किला जोकि गढ़ गुगोर बीजासन माता मंदिर के नाम पर विख्यात है और राघवजी का गढ़ मध्यप्रदेश में गुना डिस्टिक में स्थित है यह तीनों किले अजय और हिंदू पथ ठिकाने माने जाते हैं मध्य प्रदेश और राजस्थान की सीमा मां पार्वती (महेंद्र धनु तानिया) नदी के लक्ष्मण रेखा मानी जाती है गढ़ गुगोर मां बिजासन माता का मंदिर है और छाबड़ा नगर मां रेणुका नदी के तट पर बसा हुआ है रेणुका नदी का भी एक अपना इतिहास है प्राचीन काल में छतरी चौराहे पर बीच चौराहे क्षत्रिय बनी हुई थी उसका कनेक्शन नदी से था किसी कारण बस छतरी को तोड़ा गया तो नदी सूख गई बुजुर्गों की राय पर उसी मलबे से दुबारा दूसरी जगह छतरी को स्थापित किया गया तो नदी में पानी आ गया हमारे बचपन तक यह नदी कभी नहीं सुखी परंतु आज शहर की गंदगी इसमें जाकर मिल रही है बड़े-बड़े गंदे नाले इसमें मिल रहे हैं नदी के ऊपर कई एनीकट बन चुके हैं इसलिए कुछ समय के लिए नदी आज सूख जाती है बाकी हमेशा इसमें पानी रहता है

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