आपको बता दे की नहाए खाए के दिन छठ बरती नहाकर भास्कर देव को जल अर्पण कर के चाबल दाल और लोकी का सब्जी सेवन कर के आपने आप को समर्पित आस्था के नाम कर देती हैं .
अगले दिन खरना के दिन छठ बरती पूजा की तैयारी और परिजन घाट को सजाबती रूप देते हैं .फ़िर अगले दिन प्रसाद के लिए आटा गुड़ घी का मिश्रित प्रसाद मिटी के चूल्हे पर पकाती हैं .शुद्धता के साथ लकड़ी का उपयोग प्रसाद बनाने के लिए किया जाता हैं .
बॉस के सुप और झीटा पर प्रसाद के रूप मैं मुली सेब अनार केला नारंगी गणा फल के साथ टेकुआ खजूर आदि को रखा जाता हैं .
शाम का अर्क डूबता भास्कर और छठी मईया को अर्पण किया जाता हैं .शुभ प्रभात अगले दिन आख़री दिन छठ बरती बिना जल लिए अर्क देकर अपनी आस्ता को सर्तक पुर्बक सम्पन समर्पण कर देती हैं .
जो लोग मानता रख कर भीख मांग कर महा पर्ब करती हैं .देवी का दान दिया खाली नहीं जाता .हिंदी भासी राजाओं अपने शासन काल मैं धुम धाम से मनाते थे .बिहार सहित अब पुरे देश मैं यह पर्ब मनाया जाता हैं .