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अजीत भारती के खिलाफ चलेगा कोर्ट की अवमानना का केस... अटॉर्नी जनरल ने दी मुकदमे की मंजूरी

अजीत भारती हिंदू राष्ट्रवादी विचारों तथा पत्रकारिता के लिए जाने जाते हैं. अब उन आरोप हैं कि उन्होंने एक वीडियो में माननीय सुप्रीम कोर्ट तथा भारत की न्याय व्यवस्था के बारे में गलत टिप्पणी की है.

Abhay Pratap
  • Sep 15 2021 7:17AM

अजीत भारती.. देखा जाए तो इस नाम को शायद की किसी परिचय की जरूरत हो. पिछले कुछ सालों में अजीत भारती पत्रकारिता जगत में युवाओं के बीच हिंदू राष्ट्रवादी विचारधारा की एक प्रखर आवाज बनकर उभरे हैं. डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म ऑप इंडिया के संपादक के रूप में कार्य करते हुए अजीत भारती ने अपनी चुटीली तथा व्यंगात्मक लेकिन तथ्यात्मक पत्रकारिता शैली की एक ऐसी छाप छोड़ी कि वह एक जाना पहिचाना नाम बन गए. लेकिन अब अजीत भारती मुश्किल में हैं. दूसरे शब्दों में कहें तो अजीत भारती की प्रखर आवाज को दबाने की एक बड़ी कोशिश की जा रही है.

खबर के मुताबिक, ऑप इंडिया के संपादक रहे तथा वर्तमान में डू पॉलिटिक्स के संपादक के तौर पर कार्य करने वाले अजीत भारती के खिलाफ कोर्ट की अवमानना का केस चलेगा. अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने डू पॉलिटिक्स के पत्रकार अजीत भारती के खिलाफ एक वीडियो के लिए अवमानना कार्यवाही शुरू करने के लिए अपनी सहमति दे दी है, जहां उन पर न्यायपालिका के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने का आरोप है. अजीत भारती पर यह आरोप लगाया गया है कि डू पॉलिटिक्स के यूट्यूब चैनल पर पोस्ट किए गए वीडियो में सुप्रीम कोर्ट और उसके न्यायाधीशों के खिलाफ "अपमानजनक" "अपमानजनक" और "अत्यधिक अपमानजनक" शब्द थे.

आपको बता दें कि पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों से पहले अजीत भारती ने ऑप इंडिया छोड़ दिया था तथा डू पॉलिटिक्स डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म शुरू किया था. अटॉर्नी जनरल ने वकील कृतिका सिंह को पत्र के जरिए कहा है कि मैंने श्री अजीत भारती के खिलाफ न्यायालय अवमानना अधिनियम, 1971 की धारा 15 के तहत आपराधिक अवमानना के लिए कार्यवाही शुरू करने के लिए सहमति के लिए आपके आवेदन को देखा है  और आपके द्वारा प्रदान किए गए YouTube लिंक पर उनके भाषण का वीडियो देखा है. मैंने पाया कि वीडियो की सामग्री, जिसे लगभग 1.7 लाख दर्शकों ने देखा है. यह वीडियो भारत के सर्वोच्च न्यायालय और समग्र रूप से न्यायपालिका के लिए अत्यधिक अपमानजनक है, जिसका उद्देश्य स्पष्ट रूप से अदालतों को बदनाम करना है.

अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने आगे लिखा है कि इन अपमानजनक बयानों के पीछे का मकसद जो भी हो, यह स्पष्ट है कि वक्ता जो कि शिक्षित है उसे पता होगा कि इसका परिणाम भारत के सर्वोच्च न्यायालय के अवमानना क्षेत्राधिकार को आकर्षित करना होगा। इसमें कोई संदेह नहीं है कि ये बयान जनता की नजर में न्यायालय के अधिकार को कम कर देंगे और न्याय प्रशासन में बाधा डालेंगे। मैं इस आधार पर मामले मेंआगे बढ़ रहा हूं कि वीडियो की सामग्री प्रामाणिक है. मुझे श्री अजीत भारती द्वारा पोस्ट किए गए वीडियो की सामग्री के आधार पर अवमानना की कार्यवाही शुरू करने के लिए अपनी सहमति देने में कोई संकोच नहीं है.

इससे पहले जुलाई में डॉ. राम मनोहर लोहिया नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी की कृतिका सिंह ने अजीत भारती के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू करने की मंजूरी के लिए अटॉर्नी जनरल को लिखा था. कृतिका ने आरोप लगाया था कि पत्रकार ने अभद्र और अश्लील भाषा का उपयोग करके न्यायालयों की प्रतिष्ठा को खराब किया है. यह दावा किया जाता है कि भारती ने देश भर में भाई-भतीजावाद, बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और विरोध प्रदर्शनों को निर्देशित करने के आरोप लगाए थे.

कृतिका ने अजीत भारती पर आरोप लगाए तथा अटॉर्नी जनरल ने भी इन आरोपों को स्वीकार करते हुए उनके खिलाफ अवमानना का मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी. अजीत भारती का वीडियो देखेंगे तो पाएंगे कि उनके कुछ भले गलत हों लेकिन उनका उद्देश्य सिर्फ ये था कि किस तरह दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र होने का दावा करने वाले भारत देश की न्यायपालिका में कुछ लोगों के कारण आम व खास आदमी के बीच भेदभाव होता है. अजीत भारती का सवाल ये था कि आखिर ये न्यायपालिका राष्ट्रविरोधी ताकतों के खिलाफ उतनी मुखरता से सक्रिय क्यों नहीं हो पाती है? क्यों आम जन को न्याय मिलने के बजाय तारीख पर तारीख मिलती रहती है?

लेकिन इसके बजाय अजीत भारती के शब्दों को पकड़ा गया तथा उन पर कोर्ट की अवमानना का मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी गई. इससे कुछ और हो या न हो लेकिन ये सब एक्शन अजीत भारती द्वारा यूट्यूब वीडियो में कही गई बातों को ही सच साबित करता है कि कुछ मामलों में बेहद सक्रियता तो कुछ मामलों में बेहद उदासीनता क्यों बरती जाती है. जब कहा ये जाता है कि भारत की न्याय व्यवस्था सबके लिए समान है तो सरेआम भारत की न्यायपालिका का मजाक उड़ाने वाले प्रशांत भूषण पर एक रुपए का जुर्माना लगाकर क्यों छोड़ दिया जाता है? राम मंदिर के पक्ष में फैसला देने वाले जजों के खिलाफ लगातार गलत तथा अभद्र टिप्पणियां करने वालों पर अवमानना का मुकदमा क्यों नहीं चलता जबकि अजीत भारती के खिलाफ ये मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी जाती है? यही वो मानसिकता है, जिसके खिलाफ अजीत भारती ने अपने वीडियो में आआज उठाई थी.

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