यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शनिवार को एमपी इंटर कॉलेज मैदान में आयोजित महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के संस्थापक समारोह की अध्यक्षता करने पहुंचे. इस दाैरान सीएम याेगी ने कहा कि युवाओं के सर्वांगीण विकास के लिए नई शिक्षा नीति लागू की गई है। यह कोशिश युवाओं के माध्यम से नए भारत के निर्माण की है। जब कोरोना महामारी से पूरी दुनिया त्रस्त थी, तब सिर्फ पांच देश ही कोरोना टीका की खोज कर पाए। गर्व की बात है कि इसमें भारत भी शामिल है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल प्रबंधन से हमने दुनिया के सामने नजीर पेश की है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह आयोजन हमारे लिए अनुशासन का पर्व है। ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ द्वारा पूर्वी उत्तर प्रदेश में प्रज्वलित सेवा-साधना एवं तप की अखंड ज्योति निरंतर जलती रहेगी। महंत अवेद्यनाथ द्वारा शुरू किए गए सामाजिक समरसता, स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में सक्रियता का अपना दायित्व गोरक्षपीठ निभाता रहेगा। महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय गोरखपुर की स्थापना, महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की अनवरत गतिमान यात्रा का अगला पड़ाव है। हम भावी पीढ़ी को अनुशासन एवं शील का पाठ पढ़ाते रहेंगे। साथ ही उन्हें भारतीय संस्कृति की ज्ञान गंगा में स्नान कराते रहेंगे।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की स्थापना 1932 में ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ ने की थी। तब उनकी उम्र 36 वर्ष थी। महंत दिग्विजयनाथ ने पहला स्कूल अपने शिक्षक के सम्मान में स्थापित किया। उनके शिक्षक स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े थे, इसकी जानकारी होने पर अंग्रेज अफसर ने उन्हें स्कूल से बर्खास्त कर दिया। वह स्कूल आज एमपी इंटर कॉलेज के नाम से जाना जाता है। यहीं से एमपी शिक्षा परिषद की नींव पड़ी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश से गोरखपुर का नजदीकी रिश्ता है। जिस गोरखपुर का नाम महायोगी गुरु गोरखनाथ के नाम पर पड़ा है, उनका गोरखपुर आगमन हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा से हुआ। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर भी हिमाचल के ही हैं, जो पूरे देश में जनसेवा से अपनी पहचान बनाए हैं।