इनपुट-अखिल तिवारी
मामला 2017 बलरामपुर के सोहलवा वन्यजीव प्रभाग में करोड़ो रुपये की लकड़ी के अवैध कटान के मामले में लोकायुक्त ने प्रदेश के एक वरिष्ठ पूर्व आईएएस एवं पूर्व आईएसएस सहित चार अधिकारियों के खिलाफ सीबीआई जाँच जांच की सिफारिश की है।पूर्व आईएएस संजीव सरन तत्कालीन प्रमुख सचिव वन के पद पर तैनात थे, और पूर्व आईएफएस डॉ. रूपक डे उस समय पर प्रमुख वन संरक्षक एवं विभागाध्यक्ष के पद पर तैनात थे।
क्या था मामला?
साल 2017 में 5 मार्च को सोहलवा रेंज के जंगल से अवैध तरीके से काटी गई12 करोड़ की लकड़ी 16 ट्रैक्टर में अलग-अलग जगह जंगल के बाहर छुपा दिया गया था।तभी पुलिस एवं एसएसबी की संयुक्त टीम ने इसे पकड़ लिया,एक तरफ श्रावस्ती के पुलिस अधीक्षक ने बड़ा प्रश्न चिन्ह खड़ा करते हुए अपनी रिपोर्ट में लिखा कि बिना वनविभाग के कर्मचारियों के मिलीभगत के यह संभव नही है।
मामले को दबाने की कोशिश भी हुई,जब पुलिस जांच हुई तो अधकारियों पर उंगली उठने लगी उसके बाद वन विभाग के उच्चाधिकारियों ने विभागीय जांच कराकर उसकी रिपोर्ट के आधार पर छोटे कर्मचारियों एक उप प्रभागीय वनाधिकारी,एक वन दरोगा,और दो वनरक्षक कुल समेत कुल सात अधकारियों व कर्मचारियों को निलंबित कर मामले को ठंडे बस्ते में डालने की कोशिश हुई थी,फिर लोकायुक्त संगठन ने जांच की स्पष्टीकरण माँगा गया तो सभी आरोपी अधिकारियों ने अपने आप को निर्दोष बताया।
जांच में सख्त कर्यवाही की मांग
लोकायुक्त द्वारा प्रदेश के विभिन्न सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार से जुड़ी शिकायतों की जांच से जुड़ी करीब 535 पृष्ठ की दो खण्ड की रिपोर्ट बुधवार को विधानसभा और विधानपरिषद में पटल पर रख दी गई।जांच रिपोर्ट में लोकायुक्त ने लिखा कि व्यापक स्तर पर वन क्षेत्र से वृक्षों के अवैध कटान में अधिकारियों और कर्मचारियों की संलिप्तता गम्भीर है,इस मामले की गम्भीरता को सीबीआई से जाँच कराई जाए,यह भी संस्तुति की है कि जांच में दोषी पाए जाने वाले अधिकारियों पर सख्त कार्यवाही करते हुए दंड दिया जाए।