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गहलोत, डोटासरा और पुनिया के लिए चुनौती भरे होंगे 4 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव

उपचुनाव से पहले कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टियों में आपसी कलह जारी है

Namit Tyagi
  • Jan 21 2021 7:50PM


4 महीने में 4 विधायकों के निधन से राजस्थान का राजनीतिक माहौल भले ही शोकाकुल है , लेकिन इस वजह से खाली हुई विधानसभा की चार सीटों पर उपचुनाव के लिए कांग्रेस और बीजेपी में अंदर ही अंदर राजनीतिक सरगर्मियां भी शुरू हो गई हैं । आगामी कुछ महीनों में पूनिया की प्रतिष्ठा भी दांव पर रहेगी,पूनिया से भी ज्यादा सीएम गहलोत की साख दांव पर होगी , क्योंकि इनमें से तीन सीटें कांग्रेस के खाते में थीं! उन सीटों पर जीत हासिल करना मौजूदा राजनीतिक माहौल में गहलोत के लिये बेहद चुनौती भरा हो सकता है ।

यह पहला मौका है जब महज 4 महीने में 4 विधायकों का बीमारी के कारण निधन हो गया है . इनमें तीन विधायक कांग्रेस के तो एक बीजेपी के हैं . विधायकों के निधन से खाली हुई भीलवाड़ा की सहाड़ा , चूरू की सुजानगढ़ और उदयपुर की वल्लभनगर सीट कांग्रेस के कब्जे में थी . राजसंमद सीट पर बीजेपी काबिज थी . इन चारों सीटों पर आगामी महीनों में उपचुनाव होंगे । इन सीटों पर अगर फिर से कांग्रेस काबिज नहीं हो पाई तो गहलोत सरकार के कामकाज और पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा की क्षमताओं पर सवाल उठने शुरू हो सकते हैं . वहीं , पार्टी में फिलहाल थोड़ा शांत हुआ गुटबाजी का जिन्न फिर बोतल से बाहर आ सकता है ।

बीजेपी अपनी मूल सीट राजसमंद के अलावा अन्य सीटों पर कब्जा नहीं जमा पाई तो उसकी भूमिका और पार्टी के प्रदर्शन पर सवाल खड़े होंगे . बीजेपी में प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया और पूर्व सीएम वसुंधरा राजे की कथित गुटबाजी को संगठन फिर नये चश्मे से देखेगा और कोई बड़ा निर्णय भी लिया जा सकता है । प्रदेश की 200 सदस्यों वाली राजस्थान विधानसभा की स्थिति देखें तो अब कांग्रेस के पास कुल 107 में से 104 सदस्य रह गये हैं . बीजेपी के पास 71 सीटें हैं . इनके अलावा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और भारतीय ट्राइबल पार्टी के 2-2 विधायक हैं . नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के 3 सदस्य विधानसभा में है . एक सदस्य राष्ट्रीय लोक दल का है . इनके अलावा निर्दलीय 13 विधायक हैं ।

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