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बुलंदशहर : कस्टडी में मरे बेचारे नेगी की मौत का न्याय हुआ भी नही था कि इंस्पेक्टर साहब को पहना दिया मुख्य थाने का ताज.. यही वजह बनी फिर सत्ता के फजीहत की

गाजियाबाद के साहिबाबाद थाने में तैनाती से समय भी चर्चा में रहे थे बुलंदशहर की देहात कोतवाली में तैनात इंस्पेक्टर

रजत मिश्र, उत्तर प्रदेश, ट्विटर- @rajatkmishra1
  • Jun 16 2020 1:17PM

एक बार फिर से बुलंदशहर चर्चा में है उस खराब कानून व्यवस्था और गिरते हुए सुरक्षा की भावना को लेकर जो कई बार कई सरकारों के लिए शर्मिंदगी का विषय बना था। यहां कुछ खास हुआ विशेष लोगों की ही चलते ऐसी घटनाएं बार-बार हुई है जो पूरे प्रदेश में शर्मिंदगी का विषय बनी है। इस बार बुलंदशहर का कोतवाली देहात क्षेत्र चर्चा में है दिनदहाड़े 14 गोलियां बरसा कर एक निर्मम हत्या के लिए।

बुलंदशहर के कोतवाली देहात क्षेत्र में बदमाशों ने कार सवार जड़ौल के पूर्व प्रधान संजय की ताबड़तोड़ गोलियां बरसाकर हत्या कर दी। हमलावरों ने मृतक संजय को एक दर्जन से ज़्यादा गोलियां मारी और घटना को अंजाम देकर फरार हो गए। बुलंदशहर पुलिस के आला अधिकारियों की ओर से दावा किया गया कि मृतक संजय पूर्व में थाना खानपुर का हिस्ट्रीशीटर था। पुलिस के मुताबिक़ मृतक पर लूट, डकैती और हत्या जैसे कई मामले भी दर्ज थे। घटना सोमवार रात करीब 10 बजे की है जब यमुनापुरम कॉलोनी में पूर्व मंत्री हितेश कुमारी के घर के सामने स्कोर्पियो कार में सवार होकर आए 4 हमलावरों ने कार सवार पूर्व प्रधान पर ताबड़तोड़ गोलियां चलाईं और फरार हो गए। जिसमें पूर्व प्रधान संजय की मौके पर ही मौत हो गई। जबकि लॉक डाउन के दरमियान फ़िल्मी अन्दाज़ में ताबड़तोड़ फायरिंग कर पूर्व प्रधान की हत्या से इलाक़े में सनसनी फैल गई।

जब इस मामले की पूरी और जमीनी पड़ताल की गई तो यह ज्ञात हुआ कि जिस थाना क्षेत्र कोतवाली देहात में यह निर्मम हत्या हुई है उस थाना क्षेत्र की कमान एसएसपी बुलंदशहर ने एक ऐसे पुलिस इंस्पेक्टर के हाथों में सौंपी है जो इतिहास में पुलिस कस्टडी में बंदियों की प्रताड़ना लिए पूरे प्रदेश में चर्चित रहा है। इनका स्वभाव ना सिर्फ हिरासत में आए संदिग्धों बल्कि आम जनता और यहां तक कि पत्रकारों के प्रति भी कैसा है इसको यहां के अपराधियों के बुलंद हौसले से देखा और समझा जा सकता है। इन बातों का अनुमान इससे भी लगाया जा सकता है कि हत्यारों ने हत्या करने के लिए बुलंदशहर का कोतवाली देहात क्षेत्र ही क्यों चुना ?  संभवत उन्हें आभास रहा होगा यहां के थानाध्यक्ष के इतिहास का जो खुद बुलंदशहर के पुलिस प्रमुख शायद न जानते रहे हो..

जुलाई 2017 की घटना संभवत बुलंदशहर के पुलिस प्रमुख ने ध्यान नहीं दिया जब वर्तमान कोतवाली देहात थानाध्यक्ष गाजियाबाद जिले के साहिबाबाद थाने के प्रभारी हुआ करते थे। तब उत्तराखंड से कमाने आए एक नेगी नाम के गरीब युवक को कस्टडी में इतना मारा गया था कि उसकी मौत हो गई थी । उसका परिवार आज भी अपने बेटे को न्याय को लेकर टकटकी लगाकर देख रहा है जबकि ऐसा करने वाले थाना प्रभारी बुलंदी की सीढ़ियां चढ़ते गए। लेकिन बात सिर्फ यही नहीं खत्म होती एक अन्य मामला कवि नगर थाने का भी इतिहास बनाता है।

अगर इतिहास छोड़कर वर्तमान पर भी आया जाए तो एक अन्य मामले में वर्तमान समय में बुलंदशहर जेल में निरुद्ध एक कैदी की तबीयत तब से बुरी तरह खराब हुई है जब से पिछले कुछ माह पहले इन्हें इंस्पेक्टर कोतवाली देहात में उसका रिमांड लिया था। यादव जाति का वह गरीब व्यक्ति आए दिन जेल में कराहता है जिसकी आवाज उसकी लाचारी व थाना प्रभारी के बड़े और कड़े रुतबे के बीच में दब जाती है। इतने भयावह  इतिहास के बाद भी आखिर ऐसे पुलिस इंस्पेक्टर को इतना महत्वपूर्ण थाना क्षेत्र जब प्रभार के तौर पर दिया गया तभी यह तय माना जा रहा था कि कहीं न कहीं कुछ ना कुछ ऐसी गलती जानबूझकर करने की तैयारी की जा रही है जो आने वाले समय में पूरी योगी सरकार के लिए सवालिया निशान खड़े करेगी । फिलहाल इंस्पेक्टर कोतवाली देहात का रुतबा ज्यों का त्यों कायम है और बुलंदशहर की जनता गोलियों की तड़तड़ाहट को अपने कानों में गुंजाते हुए खौफ़ से खामोश है।

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