दृढ़ इच्छा शक्ति एक सामान्य नागरिक को असामान्य नागरिक में तब्दील कर देती है और वही अगर व्यक्ति राजनैतिक हो तो वह निश्चित ही राजनीति के फ़लक पर एक चमकते सितारे के तौर पर देखा जाता है। सामान्य तौर पर अगर किसी नेता को सर्दी-खांसी भर हो जाए, पिन तक चुभ जाए तो सारा अमला उसकी देखरेख में लग जाता है और अगर कहीं वह सरकार में मंत्री हो तब तो अस्पताल का घर चले आना तय है लेकिन इन सबके बीच अपवाद के तौर पर भी कुछ ऐसे राजनीतिज्ञ भी है जो वास्तव में अपने जीवन के लक्ष्य के तौर पर मानव सेवा को तय कर चुके हैं। बात हो रही है डॉ०दिनेश शर्मा की जो उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री है। आज कोरोनावायरस के संक्रमण से बचाव व इलाज की समीक्षा करने के लिए दिनेश शर्मा आगरा पहुंचे थे। बैठक के दौरान ही दिनेश शर्मा की तबियत अचानक बिगड़ गई। उनकी नाक से खून बहने लगा। मेडिकल टीम की सांसें फूलने लगी सामने डिप्टी सीएम थे लेकिन दिनेश शर्मा ने मेडिकल टीम को परेशान न होने के लिए कहा और बेहद सामान्य तौर पर इलाज करने को कहा। जिस समय ये पूरा वाकया हुआ उस समय दिनेश शर्मा सर्किट हाउस में कोविड-19 टीम के साथ बैठक कर रहे थे। मेडिकल टीम ने तत्काल उनका फौरी उपचार किया और उनको आराम करने की सलाह दी। बैठक में मैजूद मेयर नवीन जैन ने भी उनसे आराम करने का अनुरोध किया लेकिन दिनेश शर्मा ने आराम करने से इंकार कर दिया। उप मुख्यमंत्री ने बैठक ली और अफसरों को जरूरी निर्देश दिए। होम आइसोलेशन में रहने वाले रोगियों के लिए उन्होंने जरूरी निर्देश दिए। बैठक में मौजूद अधिकारी यह सब देखकर हतप्रभ थे क्योंकि सामान्य तौर पर यदि किसी छोटे-मोटे मंत्री की भी तबीयत खराब हो जाए तो है सब कुछ छोड़ छाड़ कर खुद का इलाज करवाने में व्यस्त हो जाता है लेकिन उनके सामने उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री थे जिन्होंने बेहद सामान्य तौर पर फ्लीट की मेडिकल टीम से अपना इलाज कराया, बैठक पूरी करी और उसके बाद मथुरा के लिए निकल गए। डॉक्टर दिनेश शर्मा बेहद जमीनी नेता है। सामान्य तौर पर लोग उनको अपना नेता मानते हैं ब्राह्मण वर्ग खासतौर पर अपने सारे गिले-शिकवे लेकर उन तक पहुंच जाता है और डॉ शर्मा भी येन-केन -प्रकारेण हर संभव मदद करते हैं लेकिन जब उनका यही स्वभाव बतौर उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री भी लोगों को दिखाई देता है तो स्वाभाविक तौर पर यह कई राजनेताओं को एक बड़ी सीख भी है कि किस प्रकार जनता से जुड़े किसी भी कार्य को करते समय प्राथमिकता स्वयं की नहीं बल्कि उनकी होनी चाहिए जिनकी वजह से आज वह कुर्सी पर बैठे हैं।