इनपुट- रोहित बाजपेई, लखनऊ
लखनऊ समाज कल्याण विभाग में नियमों की अनदेखी करते हुए शासनादेश का उल्लंघन करते हुए समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों की संरक्षण में एक ऐसे कर्मचारी को पद आसीन किया गया है ।
जिसकी योग्यता उस पद पर रहने के लिए योग्य नहीं है लेकिन शासन और प्रशासन के बलबूते अयोग्य व्यक्ति अपने आकाओं की सरपरस्ती में विभाग को अपने ढंग से चलाते हुए मनमाने ढंग से फंड रिलीज करा लेता है । एक आयोग कर्मचारी कैसे उस पद पर बना रह सकता है जिस पद के वह लायक ही नहीं शासन प्रशासन को किस लालच बस उस कर्मचारी को पद पर बनाए रखने के लिए उसे अपने पद का दुरुपयोग करने के लिए पूर्णतया छूट दे रखी है ।
शासन को सारी जानकारी होते हुए एक अयोग्य कर्मचारी को पद पर बनाए रखने के लिए और विभाग को चूना लगाने के लिए उस कर्मचारी को सुविधा दी जा रही है ।जिम्मेदार अधिकारी जो विभाग समाज के कल्याण के लिए है वह विभाग अपने ही कर्मचारियों के कल्याण के लिए बना हुआ है। नियमों की अनदेखी भ्रष्टाचार का बोलबाला एक ऐसे अधिकारी जो स्वयं विभाग के बड़का बाबू है जिनकी सरपरस्ती में सारा खेल हो रहा है । आखिर शासन कब तक मूकदर्शक बनकर सारा खेल कराता रहेगा?