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पवित्र भागवत कथा मंचो से अन्य मजहबों के गुणगान पर उबल पड़ा हिंदू समाज..सोशल मीडिया में उठा विरोध का तूफान

धार्मिक लोग कब से धर्मनिरपेक्ष हो गए ? इस पर चल रहा मंथन

राहुल पांडेय
  • May 18 2020 2:47PM

उस मंच के आसपास जो हजारों की भीड़ होती है.  वह श्री राम , श्री कृष्ण महादेव शिव,  इंद्र , अग्नि,  वरुण जैसे देवी देवताओं की स्तुति गान सुनने के लिए आई होती है। उसमें कई माताएं ऐसी होती हैं जिन्हें इच्छा होती है कि उनका पुत्र श्री कृष्ण जैसा प्रतापी वह बुद्धिमान हो उनमें कई पत्नियां ऐसी होती है जिन्हें पति के रूप में श्री राम जैसा वर चाहिए होता है  . उस भीड़ में अनगिनत युवा ऐसे होते हैं जो खुद को अर्जुन भीम जैसे योद्धाओं के रूप में ढालना चाहते हैं और इतिहास में अमर होना चाहते हैं।

इन तमाम भावनाओं से ओतप्रोत होकर वह सभी लोग कथा के उस मंच या मंडप में पहुंचते हैं।  अपनी आंखें बंद करते हैं और एक-एक शब्द को अपनी आत्मा तक उतारते हैं। उसी भीड़ में ऐसे मां बाप भी होते हैं जो अपने बेटे को साथ इसलिए लेकर आते हैं जिससे वह श्रवण कुमार की कथा सुन सके और उनका आदर्श अपने जीवन में उतार सके। लेकिन तभी अचानक होता है एक बड़ा परिवर्तन और उन पंडालों में बजने शुरू हो जाते हैं वह गाने , वह प्रवचन जो उन्होंने सुनने तो दूर सोचे भी नहीं रहें होंगे।

इन नए नवेले व अद्भुत किस्म के प्रवचनों में कोई या अली रहम अली का गाना गाने लगता है तो कोई मौला मेरे मौला जैसे शब्दों का उच्चारण करने लगता है। कोई किसी मुबारक खान की कथा सुनाने लगता है तो कोई अजान नमाज आज के फायदे बताने लगता है। संतो के आगे स्वयं को पूरी तरह से समर्पित कर चुकी श्रद्धालु जनता इसका विरोध भक्ति भाव में भरी होने के चलते नहीं कर पाती और उसे यह लगता है कि मंचों से जो बोला जा रहा है शायद वह शास्त्रों ग्रंथों उपनिषदों वेदों इत्यादि में कहीं लिखा हो। लेकिन यह असल में उनकी एक बहुत बड़ी भूल होती है क्योंकि यह सब कुछ वेद, ग्रंथों उपनिषदों इत्यादि के बाहर की बातें होती है जिसका कम से कम सत्य सनातन धर्म से दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं होता।

पिछले कुछ समय से सोशल मीडिया मैं एक अजीब सी बहस छिड़ी हुई है जो संभवत: इससे पहले कभी नहीं उठी थी। एक बहुत बड़ा वर्ग इन तमाम बातों के विरोध में खुलकर उतर आया और इस बड़े वर्ग में कई बड़े संत , महंत , मठाधीश,  महामंडलेश्वर , आम नागरिक , हिंदू संगठन आदि के लोग शामिल है। सोशल मीडिया पर ऐसे तमाम वीडियो वायरल हो रहे हैं जिसमें विरोध के साथ में बातें दिखाई जा रही हैं कि किस प्रकार से हिंदुओं की जनसभाओं को श्री राम, श्री कृष्ण आदि के नाम पर जमा करके और उन्हें नमाज़, मज़ार, मौलवी आदि के बारे में शिक्षा व प्रेरणा दी जा रही है।

इसमें मुख्य रूप से कई कथावाचक और कथावाचक आओ के वीडियो शामिल है जिसका पक्ष और विपक्ष जल्द ही सुदर्शन न्यूज़ जनता के सामने रखने का प्रयास करेगा. सुदर्शन न्यूज़ जल्द ही इन सभी तथ्यों व क्रिया प्रतिक्रिया के विचारों को एक साथ रखकर इस मामले में किसी निष्कर्ष तक पहुंचने का प्रयास करेगा । और साथ ही जनता से यह जानना चाहेगा कि इस समुद्र मंथन रूपी विरोध के स्वर में उठे आक्रोश से वह कितना सहमत कितने संतुष्ट हैं ? व इस प्रकार के अभियान को कितना आवश्यक मानते हैं। सुदर्शन न्यूज़ भी यह सवाल करता है कि धर्म के नाम पर जमा की गई भीड़ को धर्मनिरपेक्षता की शिक्षा देना कितना उचित माना जा सकता है। जुड़े रहिए सुदर्शन न्यूज़ के साथ जिसमें आप पाएंगे अपने सभी सवालों के जवाब।

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