उत्तर प्रदेश के हाथरस में बीते सप्ताह हुए भगदड़ के बाद योगी सरकार एक्शन मोड में हैं। मामले को लेकर विशेष जांच टीम (एसआईटी) ने सरकार को 300 पन्नों की जांच रिपोर्ट जारी की है। इसके बाद ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कार्रवाई करते हुए सिकंदराराऊ के एसडीएम और सीओ समेत छह अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया गया है। एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में हादसे का कारण प्रशासन और सत्संग कमेटी की लापरवाही को बताया गया। एसआईटी ने पर भी सवाल खड़े किए हैं। मगर रिपोर्ट में सुराजपाल जाटव का कहीं नाम नहीं है। जानकारी के अनुसार, एक हफ्ते बाद जारी की गई इस रिपोर्ट में 119 लोगों के बयान भी दर्ज किए गए हैं। वहीं जांच कर रही एसआईटी टीम में एडीजी आगरा जोन अनुपम कुलश्रेष्ठ और हरिगढ़ कमिश्नर चैत्रा वी शामिल थीं।
हाथरस में 2 जुलाई को भगदड़ मच गई थी। इस भयावह हादसे के बाद उत्तर प्रदेश की योगी सरकार और पुलिस एक्शन मोड में है। साकार विश्व हरि उर्फ भोले बाबा के सत्संग कार्यक्रम के दौरान हाथरस के गांव फुलरई में उम्मीद से कई ज्यादा भीड़ इक्कठी होने और खराब व्यवस्था के कारण हुई भगदड़ में 123 लोगों की जान गई। इसके बाद राज्य की पुलिस ने दोषियों को पकड़ने की कवायद शुरु कर दी थी।
300 पन्नों की रिपोर्ट हुई थी जारी
घटना स्थल की सटीक जानकारी के लिए, एसआईटी ने 119 लोगों के बयान दर्ज किए हैं। बयान दर्ज कराने में यूपी पुलिस के कई आला अधिकारी शामिल थे। इसमें हाथरस के जिलाधिकारी आशीष कुमार और एसपी निपुण अग्रवाल का नाम भी शामिल था। रिपोर्ट में बताया गया की, सत्संग में 2 लाख से अधिक लोग पहुंचे थे, जबकि आयोजकों ने करीब 80,000 लोगों के ही आने के लिए अनुमति मांगी थी। इसलिए प्रशासन और आयोजन कमेटी दोनों सवालों के घेरे में है। रिपोर्ट में भगदड़ के पीछे मुख्य वजह अत्यधिक भीड़ को ही बताया है।