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मुआवजे में ना मिले बेटियों को हिस्सा अपना रहे हथकंडे

मुआवजे की प्रक्रिया शुरू होने से पहले ही बहन-बेटियों को दूर रखने के लिए हथकंडे अपनाने में जुटे लोग

Anchal Yadav
  • Feb 20 2021 7:50PM
ग्रेटर नोएडा के दादरी से लेकर खुर्जा के बीच 80 गांव तक नोएडा का विस्तार के लिए शासन की ओर से नोटिफिकेशन जारी होने के बाद लोगों को मुआवजे का बेसब्री से इंतजार है।वहीं, लोग सुप्रीम कोर्ट के पिता या पैतृक संपत्ति में बराबर की हिस्सेदार के फैसले का तोड़ ढूंढने और जमीन अधिग्रहण से मिलने वाले मुआवजे से बेटियों और बहनों को दूर रखने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाए के प्रयास में जुट गए हैं। वह तहसील में पहुंचकर वकीलों से सलाह कर रहे हैं। देखने में आ रहा कि सालों से रूठी हुई अपनी बहनों से एफिडेविट लेने के लिए उनके चक्कर लगाने लगे हैं।सुप्रीम कोर्ट ने हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम में 9 सितंबर 2005 को संशोधन किए हैं। उसमें साफ किया है कि बेटियां भी पिता या पैतृक संपत्ति में बराबर की हिस्सेदार हैं। लेकिन अब ये भी साफ किया कि 2005 में संशोधन से पहले भी किसी के पिता की मृत्यु हो गई हो, तब भी बेटियों को पिता की संपत्ति में बेटों के बराबर ही हिस्सा मिलेगा। लेकिन लोग इसका भी तोड़ निकालने में जुट गए हैं।नोएडा अथॉरिटी ने विस्तार करने के लिए दादरी, सिकंदराबाद से खुर्जा तहसील के 80 गांव की जमीन पर टाउनशिप व औद्योगिक इकाई समेत तमाम विकास कार्य करने के लिए ले रही है। इसके लिए शासन से नोटिफिकेशन जारी भी हो चुका है। अब अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू करने की तैयारी है। ऐसे में लोग अपनी बहन-बेटियों को मुआवजे से दूर करने के लिए अभी से वकीलों से सलाह लेने लगे हैं। साथ ही बहन नहीं होने के झूठे दस्तावेज भी तैयार करने में जुट गए हैं।बहन-बेटियों को मुआवजा में हिस्सा देने से बचने के लिए कई तरह से जुगत लगाई जा रही है। बहनों पर प्रेशर बनाकर मुआवजा न लेने का शपथ पत्र ले लेते हैं। अगर बहन इसके लिए तैयार न हो तो पिता का फर्जी वसीयतनामा भी तैयार करा लेते हैं। वसीयत में दावा किया जाता है कि बेटी को प्रॉपर्टी में हिस्सा नहीं हैं। इसके अलावा कई लोग ऐसे भी हैं, जो बहन को मृत घोषित कराने का प्रयास करते हैं।

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