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साजिशों के शहंशाहो की यूपी में एंट्री.. केजरीवाल और ओवैसी के आगाज के बाद क्या होगा नए गठबन्धन का समीकरण ?

उत्तर प्रदेश में सियासी पारा चढ़ने वाला है दरअसल में आम आदमी पार्टी और ओवैसी की एंट्री उत्तर प्रदेश में हो चुकी है।आगामी विधानसभा चुनाव 2022 में हैं।

रजत. के. मिश्र, Twitter- rajatkmishra1
  • Dec 16 2020 11:54PM
इनपुट-अखिल तिवारी, लखनऊ

 उत्तर प्रदेश में सियासी पारा चढ़ने वाला है दरअसल में आम आदमी पार्टी और ओवैसी की एंट्री उत्तर प्रदेश में हो चुकी है।आगामी विधानसभा चुनाव 2022 में हैं, लेकिन इससे पहले आम आदमी पार्टी पंचायत चुनाव में अपनी ताकत आजमाना चाहती है आपको बता दें आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सासंद संजय सिंह लगातार उत्तर प्रदेश में दौरा कर रहे हैं,और वहीं ओवैसी की भी एंट्री उत्तर प्रदेश में हो गई है कहीं ना कहीं निश्चित रूप से कांग्रेस के अल्पसंख्यक वोट पर चोट जरूर पहुँचेगी।

आम आदमी पार्टी का एलान-
 
दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने ऐलान करते हुए बताया था कि उनकी पार्टी उत्तर प्रदेश में साल 2022 में होने वाला विधानसभा चुनाव लड़ेगी. 
अरविंद केजरीवाल ने कुछ दिन पहले  ही उत्तर प्रदेश के नेताओं पर निशाना साधते हुए कहा था कि उत्तर प्रदेश की  राजनैतिक पार्टीयां घर भरने वाली हैं ।
 
ओवैसी का उत्साह ममता को ललकार-
 
बिहार विधानसभा चुनाव में कामयाबी से खुश एआईएमआईएम के अध्यक्ष व लोकसभा सदस्य असदुद्दीन ओवैसी ने बुधवार को सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर से मुलाकात की और कहा कि बिहार की जीत को बरकरार रहेंगे साथ ही तृणमूल कांग्रेस प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए ओवैसी ने कहा कि अभी तक उनका सामना ’मीर जाफर'' और 'मीर सादिक' जैसे मुसलमानों से हुआ है, उनका सामना सच्चे मुसलमान से नहीं हुआ है, वह हो जायेगा। आगे ओवैसी ने कहा कि वह प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष शिवपाल यादव से भी मुलाकात करेंगे। ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि ओवैसी छोटी पार्टियों के साथ मिलकर राज्य में चुनाव लड़ सकते हैं।
 
फिलहाल आने चुनाव का रुख कुछ भी हो लेकिन एक बात तो तय हैं ओवैसी और आम आदमी पार्टी की उत्तर प्रदेश में एंट्री से समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के खेमे में हलचल तो जरूर पैदा हो गई है, निश्चित रूप से अल्पसंख्यक वोट पर गहरी चोट होंगी।  और आगे चलकर ओवैसी आम आदमी पार्टी या अन्य छोटी पार्टीयों के साथ गठबन्धन कर लें इससे भी इंकार नही किया जा सकता है।

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