उनका उद्देश्य था समाज को निर्भयता देना , वो उन सबके शत्रु थे जो समाज की शांति , एकता और अखंडता के शत्रु थे और उनमे से ही एक था डाकू बबुली कोल .. चित्रकूट के ददुआ और ठोकिया जैसे कई दुर्दांत डाकुओ को धूल चटा चुकी उत्तर प्रदेश पुलिस ने कमर कस रखी है इस दस्यु से भी समाज को मुक्ति दिला कर एक शांत और सौहार्द पूर्व वातावरण बनाने के लिए .. इसी प्रयास में उत्तर प्रदेश पुलिस ने खोया था अपना एक अनमोल रत्न रूपी सब इंस्पेक्टर जे पी सिंह जिनके बलिदान की गाथा आज भी अमर है चित्रकूट की पहाडियों में..
उनकी वीरता यकीनन आने वाले समय में उत्तर प्रदेश पुलिस के जवानों को प्रेरणा देती रहेगी. वो दिन आज का ही था अर्थात २४ अगस्त सन था 2017. आमना सामना हुआ था डाकुओं से और समाज की रक्षा के लिए दीवाल बन कर खड़े थे पुलिस वाले , ये उन गिने चुने लोगों के लिए एक प्रमाण था जो अक्सर पुलिस की मुठभेड़ को शक की नजर से देखा करते थे.
आमने सामने से गोलियां चली थी बबुली कोल नाम के दुर्दांत और मोस्ट वांटेड डाकू से जिसमे पुलिस की तरफ से मुख्य भूमिका में थे जांबाज़ सब इंस्पेक्टर जे पी सिंह जी . उनकी गोलियों से डाकू पीछे हटने को मजबूर हो रहे थे लेकिन उन्होंने उन्हें किसी भी हालत में न जाने देने की ठान ली थी . आख़िरकार आमने सामने की जंग में एक गोली इस जांबाज़ को आ कर लगी और जौनपुर का मूल निवासी ये योद्धा सदा के लिए अमर हो गया.
यद्द्पि इनका बलिदान एक प्रेरणा बना इनके साथियो के लिए और माणिकपुर के जंगलों में अमर हुआ ये योद्धा इतिहास के पन्नो में अमर हो गया वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इनकी वीरता को नमन करते हुए इनको भावभीनी श्रद्धांजलि भी दी थी और इनके परिवार को अधिकतम संभव सहायता भी.
पुलिस के जिस भी रूप को कोई भी जाने , समझे या प्रचारित करे लेकिन हम पुलिस के इसी रूप को जानते हैं जो समाज क निर्भयता देती है ठीक वैसे ही जैसे सेना सीमाओं पर देश के बाहरी दुश्मनो से हमारी रक्षा कर रही है वैसे ही पुलिस वो विभाग है जो समाज और सीमाओं के अंदर ही रह कर हमारी रक्षा कर रही है . आज ही हुआ बलिदान केवल हमारी अभयता के लिए था.
बलिदान होने से कुछ दिन पहले जेपी सिंह का ट्रांसफर हुआ था, ज्वाइन भी नहीं कर पाए, उससे पहले उनकी वीरगति की ये खबर मिल गई थी .. ध्यान देने योग्य ये भी है की अमर बलिदानी जे पी सिंह का करीब पूरा परिवार सेना और पुलिस में तैनात रहा है। परिजनों की मानें तो शहीद के दादा के दादा भी पुलिस में तैनात थे। मुखबिर की सूचना पर गुरुवार सुबह करीब 4 बजे रैपुरा के जेपी सिंह कुछ पुलिसकर्मियों के साथ सिविल ड्रेस में गांव में पहुंच गए। करीब 5 बजे गांव में ही डकैतों और पुलिस के बीच मुठभेड़ शुरू हो गई थी.
30 साल के बबुली पर 7 लाख लाख रुपए का इनाम था। 2016 में मारे गए बलखड़िया गैंग में शार्प शूटर था। बाद में सरगना बना था.
जहां हत्यारो, लुटेरे , अपराधियो को कभी मज़हबी तो कभी जातिवादी राजनीति में इस्तेमाल किया जा रहा तो उस समय आज सब इंस्पेक्टर जे पी सिंह का बलिदान काफी कुछ प्रेरणा देशभक्तों को दे सकता है.. आज वीरता के उन परम बिंदु उत्तर प्रदेश पुलिस की शान और प्रेरणा माने जा सकने वाले सब इंस्पेक्टर जे पी सिंह जी को उनके बलिदान दिवस पर बारम्बार नमन करते हुए उनकी गौरवगाथा को सदा सदा के लिए अमर रखने का संकल्प सुदर्शन परिवार लेता है ..
रिपोर्ट-
राहुल पांडेय
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