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5 अगस्त – गोलियों से छलनी शुभेंदु बस चलते रहे और रॉकी आतंकियो पर गोलियां बरसाते रहे. आज बलिदान हुए थे BSF के ये 2 अनमोल रत्न

आतंकी नोमान पकड़ा गया था आज के दिन जो पाकिस्तान से आया था भारत मे नरसंहार करने.

Rahul Pandey
  • Aug 5 2020 6:59AM
भारत की फ़ौज और जवान वो स्तम्भ हैं जिन्होंने हर पल हर दिन दर्द , बर्फ , आंधी , तूफ़ान , धूल यहाँ तक की गोलियां भी झेली हैं केवल और केवल हमारे लिए . उनकी सदा ये इच्छा रही है की एक इंच भी पीछे ना हटें भले ही इंच इंच कट जाएँ .. वो कभी सोच भी नहीं सकते की उनको लांघ कर कोई गुस्ताख़ अधर्मी उनके देश में दाखिल हो जाए भले ही इसके लिए उन्हें अपने प्राण क्यों ना न्योछावर कर देने पड़ें .. और हाँ , बड़े से बड़े जंग को जीत कर भी उनके चेहरे पर ना ही थकान रहती है और ना ही भावों में किसी भी प्रकार का परिवर्तन ..यहाँ तक की उनकी आँखें भी किसी मीडिया के कैमरे को नहीं खोजती हैं .. क्योकि वो हर कार्य अपना कर्तव्य मान कर करते हैं ना की किसी प्रकार का किसी के ऊपर उपकार सोच कर. ऐसे ही दो बलिदानियों का आज बलिदान दिवस है जिन्हे शायद हम में से तमाम भूल चुके हैं.

आज ही के दिन अर्थात 5 अगस्त 2015 को पाकिस्तान से आया इस्लामिक आतंकी कासिम अपने हत्यारे साथी नोमान के साथ निहत्थे हिन्दुओं की तलाश में जम्मू कश्मीर के हिन्दू बहुल इलाके ऊधमपुर में घूम रहा था . उस समय बीच में BSF आ गयी और उनकी मुठभेड हो गयी ..बस चला रहे BSF जवान शुभेंदु को गोलियों से छलनी कर दिया गया था फिर भी उसके हाथ स्टीयरिंग पर जमे थे . रॉकी ने अपने बंदूक के निशाने पर रखा उन दोनों इस्लामिक आतंकियों को .. अंत में तमाम हिन्दुओं की जान लेने पर आमादा कासिम को रॉकी ने अपनी बंदूक का निशाना बना ही लिया और उसके सीने में मैगजीन उतार ही दी जिसके बाद वो वहीँ ढेर हो गया.

उसके मरने तक रॉकी भी कई गोलियों को झेल चुका था . आतंकी नोमान का हत्यारा साथी कासिम जान बचा कर भागा जिसको पकड लिया गया .. पकडे जाने के बाद उसने बताया था कि उसको बहुत मज़ा आता है हिन्दुओ को कत्ल करने में . उसने ये भी बताया कि उसको तलाश हिन्दुओं की थी पर BSF बीच में बेवजह ही आ गयी . आज भी कासिम भारत की जेल में बंद है जिसकी फांसी शायद ही कोई मांग रहा हो क्योंकि भारत में अधिकतर लोग अहिंसा और धर्म निरपेक्षता के पुजारी हैं ..साथ ही सलीम की बस चलाने की कला पर मर मिटे तमाम सेकुलर लोगों से आज थोडा तारीफ उस BSF जवान शुभेंदु के लिए भी आपेक्षित है जिसने लहू लुहान गोलियों से छलनी होने के बाद भी अंतिम सांस तक बस की स्टीयरिंग पर हाथ को अंगद के पैर की तरह से जमाये रखा था.

उसके मरने तक रॉकी भी कई गोलियों को झेल चुका था . आतंकी नोमान का हत्यारा साथी कासिम जान बचा कर भागा जिसको पकड लिया गया .. पकडे जाने के बाद उसने बताया था कि उसको बहुत मज़ा आता है हिन्दुओ को कत्ल करने में . उसने ये भी बताया कि उसको तलाश हिन्दुओं की थी पर BSF बीच में बेवजह ही आ गयी . आज भी कासिम भारत की जेल में बंद है जिसकी फांसी शायद ही कोई मांग रहा हो क्योंकि भारत में अधिकतर लोग अहिंसा और धर्म निरपेक्षता के पुजारी हैं ..साथ ही सलीम की बस चलाने की कला पर मर मिटे तमाम सेकुलर लोगों से आज थोडा तारीफ उस BSF जवान शुभेंदु के लिए भी आपेक्षित है जिसने लहू लुहान गोलियों से छलनी होने के बाद भी अंतिम सांस तक बस की स्टीयरिंग पर हाथ को अंगद के पैर की तरह से जमाये रखा था.

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