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30 मई- कारगिल युद्ध में तोलोलिंग पहाड़ी हमें वापस दिला कर खुद भारत माँ की गोद में सदा के लिए सो गये थे “मेजर राजेश सिंह अधिकारी”

वीरता की एक और अमर गाथा जो अमर रहेगी अनंत काल तक.

Rahul Pandey
  • May 30 2021 11:06AM
इनके परिवार को न ही कभी भारत की आज़ादी और अखंडता की ठेकेदारी लेनी है और न ही कभी उसका ढोल पीट कर संसद में सीट चाहिए. ये वो महान आत्माएं थी जो आई थी देश की रक्षा करने और उसको कर के चली गयी उस धाम को जिसे पाने के लिए कभी ऋषि मुनि कठोर तप किया करते थे . 

उन तमाम ज्ञात अज्ञात वीरों में से एक है मेजर राजेश सिंह अधिकारी .. भारत की झोली में तोलोलिंग पर्वत श्रेणी डाल कर खुद भारत माता की गोद में सदा सदा के लिए आज ही के दिन सो गया था माहवीर चक्र विजेता ये योद्धा .

 गर्व कीजिये अपनी मिटटी में जन्मे इन वीरों पर जो सदा एहसास दिलाएंगी की ये देश त्याग और बलिदान के चलते स्वतंत्र और अखंड रह पाया ..

मेजर राजेश सिंह अधिकारी

महावीर चक्र (वीरगति उपरान्त )

25 दिसंबर 1970 – 

यूनिट – 2 मैक्नाईज्ड ईन्फैंट्री, 18 ग्रेनेडियर्स

लड़ाई/युद्ध – तोलोलिंग की लड़ाई/कारगिल युद्ध 1999

बलिदानी मेजर राजेश सिंह अधिकारी जी का जन्म 25 दिसंबर 1970 को उत्तराखंड के नैनीताल में हुआ था .बचपन से ही उन्हें फौजी की वर्दी प्रभावित किया करती थी . 

उन्हें देश के दुश्मनो की खबर सुन कर बहुत गुस्सा आता था और वो सोचते थे की कोई बहना मिले जिस से वो राष्ट्र एक शत्रुओ को सबक सीखा सकें ..

 देशभक्ति की इसी भावना ने उन्हें सेना में जाने की तरफ अग्रसर किया और आख़िरकार उन्होंने अपनी धुन को पूरा किया और सेना में मेजर के पद पर पहुंच गए . 30 मई 1999 को उन्हे तोलोलिंग पहाड़ी पर कब्जा करने का जिम्मा सौंपा गया। जहाँ 15 हजार फुट की ऊंचाई पर भारी बर्फ के बीच दुश्मन बहुत ही मजबूत स्थिति में काबिज था। 

ये चुनौती उनके लिए मुंहमांगी मुराद जैसी थी क्योकि बचपन से ही उन्हें दुश्मन को तबाह करने का सपना आता था जो उनके अनुसार अब पूरा होने जा रहा था . मेजर राजेश जी ने ख़ुशी ख़ुशी इस चुनौती को स्वीकार किया .

रेंगते हुए तोलोलिंग की दुर्गम पहाड़ी पर अपने साथियो के साथ चढ़ने वाले मेजर अधिकारी को दुश्मन जान भी नहीं पाया की कोई मौत बन कर उनके इतने करीब पहुंच चुका है . 

रात भर की चढ़ाई में उन्होंने इस अभियान को सफलता से प्राप्त किया और आख़िरकार ऐसी पोजीशन पर पहुंच गए जहाँ से वो दुश्मन को तबाह कर सकते थे . ग्रेनेडियर रेजीमनेट के इस वीर के पराक्रम का असली दर्शन होना अभी बाकी था दुश्मन को .. 

जब इनकी पूरी बटालियन ने तयारी कर लिया तब उसी समय इन्होने दुश्मन पर बोल दिया धावा . इस ऑपरेशन में अपनी कंपनी की अगुआई कर रहे थे, तभी दुश्मन ने उन पर दोनों तरफ से यूनिवर्सल मशीनगनों से भीषण हमला किया.

मेजर अधिकारी ने तुरंत अपनी रॉकेट लांचर टुकड़ी को दुश्मन को उलझाए रखने का निर्देश दिया और अत्यंत ही नजदीक की लड़ाई में दुश्मन के दो सैनिकों को मार डाला। 

इसके बाद मेजर अधिकारी ने धीरज से काम लेते हुए अपनी मीडियम मशीनगन टुकड़ी को एक चट्टान के पीछे मोर्चा लेने और दुश्मन को उलझाए रखने को कहा, और अपनी हमलावर टीम के साथ एक-एक इंच आगे बढ़ते रहे।

 इसी दौरान मेजर अधिकारी दुश्मन की गोलियों से गंभीर रूप से घायल हुए, फिर भी वह अपने सैनिकों को निर्देशित करते रहे और वहां से हटने से मना कर दिया। उन्होने दुश्मन के दूसरे बंकर पर हमला किया और वहाँ काबिज घुसपैठियों को मार गिराया.

उन्होने तोलोलिंग ऑपरेशन में दो बंकरों पर कब्जा किया जो बाद में प्वाइंट 4590 को जीतने में मददगार साबित हुए, अंतत: वह देश की आन, बान, शान के लिए बलिदान हुए.

मेजर राजेश सिंह अधिकारी ने भारतीय सेना की सर्वोच्च परंपराओं को कायम रखते हुए दुश्मन की उपस्थिति में असाधारण वीरता व उत्कृष्ट नेतृत्व का प्रदर्शन किया, उन्हे मरणोपरांत महावीर चक्र से सम्मानित किया गया। 

भारत की एकता और अखंडता के लिए प्राण न्यौछावर करने वाले भारत माँ के बलिदानी सपूत को आज उनके बलिदान दिवस पर सुदर्शन परिवार का शत्-शत् नमन और उनकी गौरव गाथा को सदा सदा के लिए अमर रखने का संकल्प भी … 

मेजर राजेश सिंह अधिकारी अमर रहें .. जय हिन्द की सेना

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