इस देश की वामपंथी जो बनाए जाने के प्रयास चल रहे हैं उसको अगर गहराई से देखा जाए तो देश के रक्षकों को हथियार उठाने का अधिकार ही नहीं है देश के दुश्मनों का हथियार उठाना उनका आक्रोश प्रकट करना घोषित किया जाता है।
सामने से बरस रही गोलियों का जवाब देने वाले वीर भी जांच और मानवाधिकार के नाम पर जेल की सलाखों के पीछे डाल दिए जाते हैं और भारत की आंतरिक सुरक्षा की रीढ़ हमारे जवान मुठभेड़ के समय भी यह सोचते हैं कि गोली चला लें कि गोली खा ले।।
फिलहाल लाल सलाम और जय हिंद के नारों के बीच में हुई मुठभेड़ का आज स्मृति दिवस है जिसमें हमारे 11 सूरमाओ ने अपने प्राणों का बलिदान इस देश, इस समाज की रक्षा के लिए कर दिया था जो उन्हें समय काल में उन्हें भूल गया है..
वो आज ही का दिन अर्थात 3 मई 2011 का था जब पुलिस व CRPF की संयुक्त टीम को सूचना मिली की सेन्हा थाना क्षेत्र में धरधरिया जलप्रपात के समीप 10-12 की संख्या में नक्सलियों का एक दस्ता सक्रिय है।
इसी सूचना पर पुलिस और सीआरपीएफ के जवान धरधरिया में सर्च ऑपरेशन में जुट गए। इस दौरान नक्सलियों ने कुछ ही मिनट के भीतर 300 बमों काे सीरीज में विस्फोट कर दिया। विस्फोटों की लगी झड़ी से सुरक्षाकर्मियों ने खुद को संभाला और मोर्चा लेने के लिए तैयार हुए लेकिन एक के बाद एक 300 बमो की जद में वो जांबाज़ आ गयर और उसमें से 11 जवान अमरता को प्राप्त हो गए जबकि 58 जवान गंभीर रूप से जख्मी हुए थे।
इस नक्सली हमले में बलिदान होने वाले वीर 5 जिला पुलिस बल के और योद्धा 6 सीआरपीएफ के थे , जबकि संयुक्त टीम के 58 वीर जवान गंभीर रूप से घायल हुए थे। नक्सलियों ने पूरे रास्ते में बम बिछा कर रखा था ..
यकीनन इस घोर अपराध में जो भी शामिल थे उन्हें मृत्युदण्ड से कम तो कुछ भी नहीं मिलना था लेकिन एक अपराधी को भी मृत्युदंड नहीं मिला पांच नक्सलियों को सश्रम उम्र कैद की सजा सुनाई गई थी ..
हैरानी की बात ये है कि इन नक्सलियों तक की पैरवी की गई थी जिनके मुह और हाथों में हमारे राष्ट्र के 11 शूरवीरों का रक्त लगा हुआ था …
आज हमारे व आपके लिए इस राष्ट्र की रक्षा करते हुए और विधर्म का नाश करते हुए सदा सदा के लिए अमर हो गए उन 11 शूरमाओं को सुदर्शन न्यूज बारम्बार अश्रुपूरित श्रद्धांजलि देता है और उनकी गौरवगाथा को अनंत काल तक के लिए गाते रहने का संकल्प लेता है ..