बंगाल चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार रहे मानस साहा की मौत के मामले में गुरुवार को बवाल मच गया। साहा के शव को लेकर बीजेपी के बंगाल अध्यक्ष सुकांत मजूमदार, सांसद अर्जुन सिंह, प्रियंका टिबरेवाल सीएम ममता बनर्जी के घर के सामने जा पहुंचे। लेकिन पुलिस ने उन लोगों को वहां से हटा दिया। इसे लेकर बीजेपी अध्यक्ष की पुलिस के साथ भी झड़प हुई।
बीजेपी ने पुलिस पर ममता के खिलाफ अपनी उम्मीदवार प्रियंका टिबरेवाल के साथ दुर्व्यवहार करने का आरोप लगाते हुए कहा कि इसके खिलाफ केस दर्ज कराया जाएगा।
दरअसल, बीजेपी नेता ममता के कालीघाट स्थित आवास के पास शव को ले जाने की कोशिश कर रहे थे। मानस मगराहाट पश्चिम से बीजेपी के उम्मीदवार थे। वह मथुरापुर के उपाध्यक्ष भी थे। मानस साहा की बुधवार को मौत हो गई थी।
चुनाव परिणाम घोषित होने के दिन 2 मई को मानस साहा पर कथित रूप से तृणमूल के लोगों ने हमला किया था। डायमंड हार्बर कॉलेज के मतगणना केंद्र से वापस जाते समय उन पर हमला हुआ था। उसके बाद से वह बीमार थे। बीते दिन उनकी मौत हो गई थी।
बैरकपुर से बीजेपी के सांसद अर्जुन सिंह ने कहा कि-" बंगाल में हिंसा हुई है, अब यह साबित हो गया है। हम लोग मृतक के शव को सीएम ममता बनर्जी के आवास के पास ले जाना चाह रहे थे। लेकिन पुलिस पूरी तरह से टीएमसी की गुलाम हो गई है। बीजेपी नेताओं के साथ दुर्व्यवहार किया गया।''
उन्होंने कहा कि-" बीजेपी नेताओं को जानबूझ कर निशाना बनाया जा रहा है। बंगाल में चुनाव के बाद सैंकड़ों बीजेपी कार्यकर्ताओं की जान गई है और हजारों लोग बेघर हो गए हैं। लेकिन ममता बनर्जी की सरकार हत्यारों का साथ दे रही है।"
गौरतलब है कि हिंसा पर ममता बनर्जी ने कहा है कि-" हिंसा की घटनाओं को बढ़ा-चढ़ा कर पेश कर बीजेपी बंगाल में राष्ट्रपति लागू शासन लागू कराने का प्रयास कर रही है।" कार्यभार संभालने के बाद अपनी पहली प्रेस कांफ्रेंस में उनका कहना था, "राज्य में चुनाव बाद हिंसा की कुछ घटनाएं जरूर हुई हैं, लेकिन बीजेपी इस आग में घी डालने का प्रयास कर रही है। हिंसा उन इलाक़ों में ज़्यादा हो रही है, जहां बीजेपी जीती है। इस हिंसा को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिशें भी हो रही हैं।"
साहा की मौत के बाद अस्पताल पहुंचे भाजपा सांसद अर्जुन सिंह ने बताया कि उन पर स्थानीय टीएमसी विधायक के समर्थकों ने ही हमला किया था, जब देखा कि साहा मतों की गिनती में पिछड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को वह राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के समक्ष उठाएंगे। उल्लेखनीय है कि चुनावी हिंसा पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट मिलने के बाद कलकत्ता हाईकोर्ट ने 19 अगस्त को चुनावों के दौरान हत्या और दुष्कर्म के सभी मामलों की सीबीआई जांच के आदेश दिए थे।