इनपुट -अखिल तिवारी, लखनऊ
कोरोना की चपेट से पूरा विश्व प्रभावित हो गया है, ऐसे में सभी देशों ने अपनी तरफ से भरपूर कोशिश की है कोरोना से निपटने के लिए। वहीं प्रधानमंत्री मोदी ने सबसे पहले लॉकडाउन लगाया और उस समय अंतराल में कोरोना से निपटने के लिए नीति बनाई जो काफी हद तक असरदार भी रही हैं।
आपको बता दें कि राष्ट्रीय चिकित्सा विज्ञान अकादमी का 61वां वार्षिक सम्मेलन 26 से 28 नवंबर तक बीएचयू में मनाया जाएगा। इस दौरान स्वास्थ्य सेवाओं के उत्थान और कोरोना महामारी के खिलाफ लड़ाई में अग्रणी योगदान के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फेलो ऑफ मेडिकल साइंसेज (एफएएमएस) देने का निर्णय लिया गया है।
वहीं प्रोफेसर बीआर मित्तल इस सम्मेलन के संरक्षक हैं।इस सम्मेलन में 2 दिनों में कुल 10 वैज्ञानिक सत्र होंगे।सम्मेलन के दौरान 7 व्याख्यान, 7 पुरस्कार पत्र और 48 पोस्टर प्रस्तुत किए जाएंगे।इसके अलावा टेली मेडिसिन पर संगोष्ठी भी होगी।सतत चिकित्सा शिक्षा पर 1 सत्र रखा गया है, जो मेडिकल सेक्टर के तमाम पहलुओं पर विचार करेगा।
इस सम्मेलन में 52 डॉक्टर और वैज्ञानिकों को फेलोशिप दी जाएगी।वहीं, 106 युवा डॉक्टर को सदस्यता प्रदान की जाएगी।पीएम ने कोविड काल से उबरने के बाद भारत के हेल्थ सिस्टम को बहुत बेहतर कर दिया। वहीं, ऑक्सीजन बैंक से लेकर हाईटेक हॉस्पिटल और उनकी सुविधाओं में कई गुना इजाफा किया गया। इसलिए काशी हिंदू विश्वविद्यालय के चिकित्सा विज्ञान संस्थान के इस आयोजन में पीएम मोदी को मानद उपाधि दी जाएगी।