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पूरी रामनगरी में दिखेगा त्रेतायुग सा नजारा, आधुनिकता और परंपरा का दिखेगा विहंगम मेल

लंबे समय से उदासीनता का दंश झेल रही राम की नगरी अयोध्या में अब प्राण प्रतिष्ठा से पहले ही विहंगम दृश्य देखने को मिल रहे हैं। सबसे खास बात है यहां पर आधुनिकता के साथ साथ परंपराओं का अद्भुत तालमेल बिठाया गया है।

रजत के.मिश्र, Twitter - rajatkmishra1
  • Jan 10 2024 3:49PM

इनपुट- श्वेता सिंह, लखनऊ, twitter-@shwetamedia207

 
लंबे समय से उदासीनता का दंश झेल रही राम की नगरी अयोध्या में अब प्राण प्रतिष्ठा से पहले ही विहंगम दृश्य देखने को मिल रहे हैं। सबसे खास बात है यहां पर आधुनिकता के साथ साथ परंपराओं का अद्भुत तालमेल बिठाया गया है।
 
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर 22 जनवरी को प्रभु श्रीराम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के लिए पीएम के अभूतपूर्व स्वागत की तैयारी की जा रही है। देशी-विदेशी फूलों और तोरणद्वार के जरिए अयोध्या को दुल्हन की तरह तैयार किया जा रहा है। अयोध्या व आसपास के जनपदों के साथ ही पश्चिम बंगाल, मथुरा व सीतापुर के 700-800 कारीगर जुटे हैं। यहां कोलकाता, कानपुर, दिल्ली, बेंगलुरु आदि स्थानों से फूल मंगाए जा रहे हैं।
 
22 जनवरी को प्रस्तावित आयोजन को ट्रस्ट अविस्मरणीय बनाना चाहता है। तैयारी ऐसी है कि 15 से 24 जनवरी के मध्य में आयोजित होने वाला प्राण प्रतिष्ठा उत्सव त्रेता युग के राम राज्याभिषेक जैसा हो सके। इसमें रामनगरी की आतिथ्य परंपरा का भी भावपूर्ण का दर्शन किया जा सकेगा। 
 
प्रभु राम के विराजमान होने की सभी तैयारियां युद्ध स्तर पर चल रही है। रामलला 22 जनवरी 2024 को दोपहर 12:20 पर मृग शिरा नक्षत्र में विराजमान होंगे। जहां देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यजमान की भूमिका में रामलला को विराजमान कर उनकी पहली आरती उतारेंगे। उस दौरान काशी के वैदिक विद्वान राम लला की प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान करेंगे। आपको बता दें कि काशी के वैदिक विद्वान की परंपरा आदिकाल से चली आ रही है। यही वजह है कि अयोध्या में विराजमान होने वाले रामलला के प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान काशी के वैदिक विद्वान संपन्न कराएंगे।
 
अगर बात करें आधुनिकता की तो सबसे पहली तस्वीर अयोध्या धाम की महर्षि बाल्मीकि अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा और अयोध्याधाम रेलवे स्टेशन की आंखों के सामने कौंध जाती है। यहां पर यात्रियों की आधुनिक सुविधा का खास ख्याल रखा गया है। अगर ये कहा जाए कि अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधाएं देकर अयोध्या को त्रेतायुग जैसी नगरी बनाया जा रहा है तो ये गलत नहीं होगा।

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