राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कई बार ऐसे-ऐसे अटपटे बयान दे देते हैं जो समझ से परे होते हैं। जब-जब राजस्थान में हिन्दुओं पर हमले हुए सभी ने देखा कि गहलोत हमेशा इस्लामिक कट्टरपंथियों का बचाव करते नजर आये।
देश में पहले से मांग उठती रही है कि अगर को भी दुष्कर्म का मामला सामने आता है तो फास्ट ट्रैक कोर्ट में ले जाकर तुरंत फांसी देने की मांग उठती रही है और अगर हम नजर डालें तो अगर कठोर सजा का प्रावधान हो तो ऐसे अपराधों में कमी भी आती है लेकिन कुछ लोग इसका विरोध करते दिखाई देते हैं।
इसी बीच मुख्यमंत्री गहलोत ने दुष्कर्म की घटनाओं को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि आरोपियों को फांसी देने का कानून अमल में आने के बाद से दुष्कर्म के बाद महिलाओं की हत्या के मामले में इजाफा हुआ है।
इस दौरान उन्होंने कहा कि निर्भया कांड के बाद आरोपियों को फांसी देने की मांग ने जोर पकड़ा और इसके बाद कानून अमल में आया। ऐसे में दुष्कर्म के बाद महिलाओं की हत्या के मामले में इजाफा हुआ है।
उन्होंने कहा कि देश में यह एक खतरनाक ट्रेंड बनकर उभरा है। दुष्कर्म करने वाले को लगता है कि पीड़िता उसके खिलाफ गवाह बन जाएगी। वह दुष्कर्म भी करता है और हत्या भी कर देता है।
गहलोत ने कहा कि केंद्र सरकार विपक्ष के आंदोलन को कोई तवज्जो नहीं दे रही है ये इनके खुदके लिए घातक होगा मेरा मानना है। लोकतंत्र में इतनी छूट होनी चाहिए विपक्ष को कि वो खुलकर धरना-प्रदर्शन कर सके उससे गवर्नमेंट को ही फायदा होता है पर ये इतने अहम-घमंड में चल रहे हैं।