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वास्तुकार, योजनाकार हमारी बस्तियों के साथ साथ हमारी सभ्यता एवं संस्कृति को भी आकार देते हैं- डॉ निशंक

केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने आज यहाँ ऑनलाइन माध्यम से योजना एवं वास्तुकला विद्यालय (एसपीए), भोपाल, में नए शैक्षणिक भवन का भूमि पूजन एवं शिलान्यास करते हुए कहा कि हम सभी को यह, याद रखना चाहिए कि हमारे योग्य वास्तुकार, योजनाकार और डिजाइनर न केवल हमारी बस्तियों को आकार देते हैं बल्कि हमारी सभ्यताओं और संस्कृतियों को भी आकार देते हैं ।

Alok Jha
  • Jan 18 2021 7:54PM
केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने आज यहाँ ऑनलाइन माध्यम से योजना एवं वास्तुकला विद्यालय (एसपीए), भोपाल, में नए शैक्षणिक भवन का भूमि पूजन एवं शिलान्यास करते हुए कहा कि हम सभी को यह, याद रखना चाहिए कि हमारे योग्य वास्तुकार, योजनाकार और डिजाइनर न केवल हमारी बस्तियों को आकार देते हैं  बल्कि हमारी सभ्यताओं और संस्कृतियों को भी आकार देते हैं, वे विकास के दर्शन को लागू करने और उसे वास्तविक बनाने के लिए जमीन पर लोगों के साथ जुड़ते एवं सहयोग करते हैं. हमारे भविष्य को डिजाइन करने में उनकी भूमिका अतुलनीय है.

इस अवसर पर भोपाल की सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, हुज़ूर विधानसभा से विधायक श्री रामेश्वर शर्मा, योजना एवं वास्तुकला विद्यालय के निदेशक प्रो डॉ एन श्रीधरन, कुलसचिव प्रो शाजु वर्गीस, फैकल्टी अध्यक्ष प्रो संजीव सिंह और केंद्रीय लोक निर्माण विकास विभाग के एडीजी श्री एस आर किनरा भी जुड़े.

भवन का शिलान्यास करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा, "संस्थान के प्रतीक चिन्ह की तरह इस भवन का डिज़ाइन भी मलवा के मांडू में स्थित नीलकंठ महादेव मंदिर के स्पाइरल जलधारा से प्रेरित है. मेरा मानना है कि इस भवन के निर्माण के माध्यम से न केवल इस संस्थान की वर्तमान और भविष्य की जरूरतें पूरी होंगी अपितु राष्ट्रीय शिक्षा नीति की परिकल्पनाओं को साकार करते हुए वास्तुकला स्टूडियो के निर्माण में भी सहायता प्राप्त होगी."

उन्होनें शैक्षणिक ब्लॉक की संरचना की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह भारतीय वास्तुकला की श्रेष्ठता को दर्शाती है. ऐतिहासिक और सांस्कृतिक प्रभावों के माध्यम से भारतीय वास्तुकला पर गहरा असर पड़ा है. हमारे देश में स्मारकों और मंदिरों की भव्यता अपने युग की गाथा सुनाते हैं. यह आश्चर्य की बात है कि हमारे देश के भीतर कई स्थापत्य शैलियां हमें विरासत में मिली हैं.

उन्होनें एसपीए की प्रशंसा करते हुए कहा कि इस संस्थान ने भारत की स्थापत्य शैली को आगे बढ़ाया है और इसको 'कल्पना विश्वविद्यालय' के रूप में विकसित किया जा रहा है, जहां सभी हितधारकों - छात्रों, शोधकर्ताओं, प्रोफेसरों और बड़े पैमाने पर समाज के बीच जिज्ञासा की भावना प्रबल होगी. एसपीए वास्तुकला योजना और डिजाइन के अनुशासन के माध्यम से सार्वभौमिक डिजाइन, संरक्षण तथा पर्यावरणीय जीविका, सांस्कृतिक जीविका और सामाजिक जीविका के लिए प्रयास करेगा.

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