महाराजगंज की अंजली तिवारी उर्फ आईशा को आत्मदाह के लिए उकसाने के मामले में गिरफ्तारी हुई है। महराजगंज कांग्रेस जिलाध्यक्ष आलोक प्रसाद को गिरफ्तार किया गया है। प्रसाद यूपी दलित कांग्रेस फ्रंट के अध्यक्ष भी है। माना यह जा रहा है कि आलोक ने ही महिला को आत्मदाह के लिए उकसाया था। जानकारी में आ रहा है कि आत्मदाह करने के समय भी आलोक घटना स्थल पर मौजूद थे। दोनों के बीच फोन पर कई बार बात होने के भी साक्ष्य सामने आ रहे हैं। आलोक पूर्व राज्यपाल स्व०सुखदेव प्रसाद के बेटे है।
अंजलि की कहानी जानने से पहले उसका अतीत जानना जरूरी है। अंजलि तिवारी उर्फ ज्योति झारखंड के पलामू जिला के चेपात की रहने वाली थी। उसकी जिंदगी में शादी के आठ साल के अंदर कई डरावने मोड़ आए, पर वह बिना विचलित हुए जिंदगी से जंग लड़ती रही। घुघली क्षेत्र के पिपराइच उर्फ पचरूखिया में शादी के बाद अंजलि पति के नशे की आदत से परेशान थी।
कपड़े की दुकान में काम करते हुए जिंदगी में आया आसिफ-
इस दौरान उसका पति से रिश्ता टूट गया। रिश्ता तोड़ने के बाद मां-बाप पर बोझ बनने के बजाय हालात से संघर्ष करते हुए अंजलि महराजगंज के वीर बहादुर नगर कस्बे में किराए का मकान लेकर अकेले रहने लगी। अपनी जिंदगी चलाने के लिए अंजलि ने एक कपड़े की दुकान में नौकरी की।
इसी दौरान उसकी जिंदगी में राज उर्फ आसिफ रजा आया। दोनों ने सुनहरे ख्वाब देखे और धीरे-धीरे अंजलि उसके करीब आ गई।
शादी करने के लिए धर्म बदलने की शर्त-
अंजलि ने जब आसिफ से शादी का प्रस्ताव रखा तो उसने धर्म परिवर्तन की शर्त रखी। हालात में फंसी अंजलि मजबूर होकर आयशा बन गई। मौलवी ने उसका निकाह कराया, पर ये निकाह आसिफ के परिजनों को गंवारा नहीं था। आसिफ रजा के परिजनों ने अंजलि का उत्पीड़न शुरू कर दिया। इसके बाद आसिफ के साथ वह गोरखपुर चली गई। वहीं किराए पर कमरा लेकर रहने लगी।
अब आसिफ भी बदल गया-
आसिफ पर आरोप है कि गोरखपुर में वह अंजलि पर अत्याचार करने लगा। कुछ ही दिनों बाद अंजलि को गोरखपुर में छोड़ आसिफ सऊदी अरब चला गया। आसिफ पिछले ढाई साल से सउदी अरब में ही रह रहा है।
रिश्ता तोड़ा, पैसा भेजना बंद किया-
ऐसा करते करते ढाई साल गुजर गए। इस बीच आसिफ रजा ने अंजलि से संबंध तोड़ लिया और उसे पैसा भेजना बंद कर दिया। चार अक्तूबर को अंजलि गोरखपुर से वीर बहादुर नगर स्थित आसिफ के घर आकर धरने पर बैठ गई।
आसिफ के परिजनों ने भी अपनाने से इनकार किया-
आसिफ के परिजनों ने भी अंजलि को अपनाने से इनकार कर दिया और अपना दरवाजा बंद कर लिया। अंजलि को दरवाजे से हटाने की कोशिश शुरू हुई। पुलिस मौके पर पहुंची और अंजलि को महिला थाना भेज दिया। महिला थाने में अंजलि ने अपनी पूरी कहानी सुनाई और इंसाफ की मांग की।
महिला थाने की लापरवाही-
लेकिन महिला थानाध्यक्ष ने उत्पीड़न के सभी आरोपों को नजरअंदाज कर दिया। इसके बाद मैनेज के खेल में सुलह-समझौता की बात शुरू हुई, लेकिन इसे मानने से अंजलि ने इनकार कर दिया। महिला थाना में अंजलि के आरोपों पर केस भी दर्ज नहीं किया गया।
अब इस मामले में पुलिस उन लोगों को घटना के लिए कसूरवार ठहरा रही है, जिन पर कथित रूप से अंजलि को उकसाने का आरोप है।
इस संबंध में महाराजगंज के एसपी प्रदीप गुप्ता का कहना है कि लखनऊ पुलिस इस मामले की जांच कर रही है। वहां से सीओ स्तर के एक अधिकारी भी जांच करने पहुंचे हुए हैं। जांच रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई होगी।