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अनिल चौहान का साथ आना मृगांका सिंह के लिए बना संजीवनी बूटी

कैराना की राजनीति अनिल चौहान के बिना अधूरी मानी जाती है वो चुनाव लडे या ना लडे फिर भी चुनाव मे क्षेत्रवासियों की नजर उन की तरफ रहती है। अनिल चौहान के बिना कैराना पर कमल खिलना मुश्किल दिखाई देता है।

पंकज चौहान, सुदर्शन न्यूज़,संवाददाता शामली
  • Jan 27 2022 8:55AM

कैराना की राजनीति में नया फेरबदल अचानक सामने आया है भाजपा के कद्दावर नेता व कैराना सीट पर अपनी पकड़ रखने वाले अनिल चौहान ने क्षेत्रवासियों की मीटिंग बुलाकर मृगांका सिंह को पुरजोर समर्थन के साथ चुनाव लड़ाने की घोषणा कर दी है। इसी के साथ निराश चल रहे कैराना के वोटरों में एक अलग उमंग दिखाई देने लगी है।जो इलेक्शन फंसा दिखाई दे रहा था वह अब एक तरफा दिखाई दे रहा है। अनिल चौहान के साथ आने से मृगांका सिंह की जीत लगभग तय मानी जा रही है।

 

 
 
कहते हैं कि श्री राम भगवान वहा नहीं आते जहा हनुमान जी ना हो। तो ऐसे ही कुछ कैराना में देखने को मिला। भाजपा को श्री राम भगवान को कैराना सीट समर्पित करने के लिए कैराना में अनिल चौहान जैसे हनुमान भक्त का साथ चाहिए था। कैराना में कलम खिलाने के लिए अनिल चौहान हनुमान भक्त बन कर मृगांका सिंह के लिए संजीवनी बूटी लाने का काम करेंगे। यह संजीवनी बूटी कैराना विधानसभा की जीत के रूप में मृगांका सिंह को देंगे।
 

 

 

अनिल चौहान कैराना के कद्दावर नेता है जिनकी पकड़ हिंदू वोटरों के साथ-साथ मुस्लिम वोटरों में भी खूब बताई जाती है।अनिल चौहान के राजनीति में सक्रिय रूप से आने से पहले बताया जाता है कि कैराना के मुस्लिम बाहुल्य गांव में भाजपा का एजेंट तक नहीं बनता था।जब से अनिल चौहान सक्रिय राजनीति में आए हैं तब से कैराना क्षेत्र के मुस्लिम बाहुल्य गांव में भी भाजपा को भरपूर वोट मिल रही है। जो कहीं ना कहीं अनिल चौहान के कद को दर्शाती है।
 
 
अनिल चौहान इससे पहले दो बार कैराना विधानसभा का चुनाव लड़ चुके हैं उपचुनाव में मात्र 1000 वोट से उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। तब प्रदेश में सपा सरकार थी।उसके बाद कैराना की राजनीति में जैसे अनिल चौहान मील का पत्थर साबित हुए कैराना की राजनीति अब कहीं ना कहीं अनिल चौहान के आसपास घूमती दिखाई देती है अनिल चौहान कैराना विधानसभा जीत- हार में अहम भूमिका निभाते हैं।

 

 

 
 
 
स्वर्गीय बाबू हुकुम सिंह के स्वर्गवास के बाद खाली हुई कैराना लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में मृगांका सिंह को हार का सामना करना पड़ा था इस चुनाव में गठबंधन की तबस्सुम हसन ने विजय दर्ज की थी।पर आपको बता देगी कैराना लोकसभा में जितनी भी विधानसभा सीटें आती है सभी सीटों पर मृगांका सिंह को हार का सामना करना पड़ा था मात्र कैराना एक ऐसी विधानसभा थी जहां से मृगांका को जीत हासिल हुई थी तो यह कहीं ना कहीं अनिल चौहान की मेहनत और लोगों में उनके प्रति लगाओ को जाहिर करती है।
 
 

 

 
अब देखना यह होगा कि अनिल चौहान के मृगांका सिंह के साथ आने के बाद ऊंट किस करवट बैठता है मृगांका खेमे में कहीं ना कहीं खुशी की लहर दिखाई दे रही है।

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