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बहुत खुश होने की जरूरत नही अमेरिका में बन रही कोरोना की वैक्सीन से.. अभी बाकी है ये बड़ी प्रक्रिया

कोरोना वैक्सीन की प्रभाव प्रतिशत पर निर्भर है, उसकी स्वीकृति

Sudarshan News
  • Aug 8 2020 7:06PM

एंथनी फाउची जो कि अमेरिकी सरकार के कोरोना वायरस एडवाइजर के साथ - साथ देश के प्रमुख संक्रामक रोग विशेषज्ञ भी है। उन्होंने ब्राउन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में बयान दिया कि कोरोना वैक्सीन के पूरी तरह प्रभावी होने की बहुत कम उम्मीदें हैं। लेकिन अगर कोरोना वैक्सीन 50 फीसदी भी प्रभावशाली हुई तो वह मान्य होगी, और उसे स्वीकार किया जाएगा।

जिस भी देश में कोरोना वैक्सीन का ट्रायल चल रहा है, वहां के साइंटिस्ट्स यह उम्मीद करके वैक्सीन पर काम कर रहे है,कि वह कम से कम 75 फीसदी प्रभावशाली होगी। लेकिन अगर वह 50 से 60 फीसदी प्रभावी वैक्सीन भी बना लेते है, तो वह मान्य होंगी।

एंथनी फाउची ने आगे कहा कि कोरोना वैक्सीन के 98 फीसदी प्रभावी होने की बहुत कम उम्मीद है। लोगों को यह सोचना चाहिए कि वैक्सीन एक हथियार या एक टूल हैं, जिसके जरिए हम कोरोना वायरस की महामारी को खत्म कर सकते है।उस पर नियंत्रण पा सकते हैं।

अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने कहा कि अगर साइंटिस्टों द्वारा बनाई गई कोरोना की वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित पाई जाती है और वह कम से कम 50 फीसदी प्रभावशाली भी रहती हैं। तो उसे मंजूरी दी जाएंगी, उसके बाद ही कोई वैक्सीन आम लोगों के लिए उपलब्ध होगी।

अमेरिका में कई वैक्सीन पर कार्य आरंभ है और कुछ वैक्सीन के तीसरे राउंड के ट्रायल प्रगति पर हैं। अमेरिका में पीफाइजर और मोडर्णा वैक्सीन के तीसरे फेस के ट्रायल में करीब 30 हज़ार लोगों को शामिल कर रहीं हैं। इन्हीं लोगों पर वैक्सीन का ट्रायल होगा और अगर नतीजे अच्छे आए तो वैक्सीन आम लोगों के लिए उपलब्ध कराई जा सकती हैं।

रूस ने अपनी कोरोना वैक्सीन का ट्रायल पूरा कर लेने का ऐलान कर दिया है, लेकिन अभी तक उस वैक्सीन के बारे में कुछ ख़ास जानकारी नहीं दी गई है। बाकी देशों के एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस साल के आखिर तक ट्रायल पूरे होने की आशा है। ट्रायल से आए नतीजों को देख कर आम लोगों के लिए वैक्सीन उपलब्ध कराई जा सकते हैं। हालाकि दूसरी तरफ WHO का कहना है कि उम्मीद है की साइंटिस्ट कोरोना की एक सुरक्षित वैक्सीन बनाने में कामयाब होंगे। लेकिन यह कहना मुश्किल है कि वैक्सीन बन ही जाएंगी, हो सकता है इसकी वैक्सीन कभी ना बन पाए।

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