आज अक्षय तृतीया है वैशाख शुक्ल पक्ष तृतीया को अक्षय तृतीया व्रत के साथ त्यौहार के रूप में भी मनाया जाता है। अक्षय तृतीया मनाने का शास्त्रीय आधार है इस दिन महिलाएं चैत्र शुक्ल तृतीया के दिन प्रतिष्ठापित चैत्र गौरी का विसर्जन करती हैं। चैत्र शुक्ल पक्ष तृतीया से वैशाख शुक्ल पक्ष तृतीया तक किसी शुभ दिन पर वे हल्दी-कुमकुम का स्नेह मिलन करती हैं।
अक्षय तृतीया’ कृतयुग, त्रेतायुग का आरंभ दिन है। इस तिथि पर धार्मिक कृत्य करने के लिए मुहूर्त नहीं देखना पडता इस तिथि पर इस तिथि पर पवित्र नदियों में स्नान, दान आदि धार्मिक कृत्य करने से अधिक आध्यात्मिक लाभ होते हैं। इस तिथि पर देवता-पितर के निमित्त जो कर्म किए जाते हैं, वे संपूर्णतः अक्षय होते हैं।
अक्षय तृतीया पर, श्री विष्णु पूजा, जप और होम सात्त्विक रंगोलियां बनाना, तिलतर्पण करना , सुपात्र व्यक्ति दान करना ,मृत्तिकापूजन, मिट्टी को जैविक बनाना ,बीज बोना वृक्षारोपण करने से अक्षय तृतीया के दिन अधिक फल देते हैं। इस दिन श्रीविष्णु सहित वैभव लक्ष्मी प्रतिमा का श्रद्धा पूर्वक कृतज्ञता भाव से पूजन करना चाहिए।
संत, धार्मिक कार्य करने वाले व्यक्ति, समाज में निःस्वार्थ भाव से अध्यात्म का प्रसार करने वाली संस्थाएं राष्ट्र धर्म की जागृति का कार्य करने वाले धर्माभिमानियों को धन अर्पित करना, सुपात्र दान है अक्षय तृतीया के दिन सतत सुख-समृदि्ध प्रदान करने वाले देवता की कृतज्ञता भाव से उपासना करने पर हम पर उनकी कृपादृषि्ट सदा बनी रहती