किसान आंदोलन के दौरान हुई हिंसा से किसानों में फूट पड़ गई है। जिसका परिणाम यह हुआ है कि किसान गुट टुकड़ो में बटना शुरु हो गए हैं। किसानों के दो गुटों ने प्रदर्शन खत्म करने की फैसला किया है। यह दोनों ही गुट किसानों की टैक्टर रैली में हुई हिंसा से आहत थे।
दूसरे रंग का ध्वज फहराए जाने का किया विरोध
दरअसल गाजीपुर बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे राष्ट्रीय किसान आंदोलन संगठन के मुखिया वीएम सिंह ने धऱना-प्रदर्शन खत्म करने का एलान किया है। वहीं, दूसरी ओर दिल्ली-नोएडा स्थित चिल्ला बॉर्डर पर धरना दे रहे भानू गुट ने भी धरना खत्म कर दिया है। भानू गुट ने ध्वज फैराने को गलत बताते हुए धरना खत्म करने के लिए कोर कमेटी की बैठक की, जिसके बाद यह धरना खत्म किया। बता दें कि दोनों ही गुटों ने लाल किले पर दूसरे रंग का ध्वहज फहराए जाने के विरोध में आंदोलन को खत्म किया है।
हिंसा के जिम्मेदारों के खिलाफ होनी चाहिए कार्रवाई
गाजीपुर बॉर्डर पर पीसी में किसान नेता वीएम सिंह ने कहा कि वो आज बॉर्डर से हट जाएंगे। साथ ही कहा कि राष्ट्रीय किसान आंदोलन संगठन अब इस आंदोलन का हिस्सा नहीं है। कल की हिंसा की निंदा करते हुए कहा कि जो भी इसके जिम्मेदार हैं उन सभी के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। वहीं, खरखौदा के ट्रैक्टर परेड की आड़ में लालकिले पर तिरंगे की जगह अन्य झंडा फहराए जाने के बाद दहिया खाप के प्रधान सुरेंद्र दहिया ने जल्द ही सर्वखाप की पंचायत बुलाकर किसान यूनियनों को दिए गए नैतिक समर्थन पर विचार करने की बात कही है।
किसानो ने लाल किले पर दूसरे रंग का ध्वपज फहराए जाने का विरोध किया है उन्होने इसे आंदोलन में उत्पादियों की घुसपैठ करार दिया है। इस सब से उन लोगों को भी साफ संदेश मिलेगा जो लाल किले पर मजहबी झण्डा फैराने वालों किसान बता रहे थे।