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बना गौ हत्या के खिलाफ नया कानून तो लगा दिया गौ वंश की लाशों का अंबार.. वो जिला मुज्जफरनगर जो उत्तर प्रदेश में ही है

स्थानीय प्रशासन की कार्यशैली के बाद हौसले बढ़े हैं गौ हत्यारों के, ऐसा मानना है तमाम लोगों का..

समर ठाकुर
  • Jun 26 2020 9:50AM
ये वो जिला है जो भाजपा के कद्दावर मंत्रियों का गढ़ है.. कहा जाता है कि पश्चिम उत्तर प्रदेश में भाजपा को पुनर्जीवित करने का श्रेय इसी जिले को जाता है।।यहां के भाजपाई मंत्री केंद्र व प्रदेश को राजनीति में मजबूत दखल रखते हैं...यकीनन ऊपर शासन से आदेश मिला था कि अपराधियों आतंकियों को पकड़ कर उन्हें या तो जेल भेजो या उनके अंजाम तक पहुंचाओ लेकिन मुजफ्फरनगर में जो कुछ होने लगा वह कम से कम मुजफ्फरनगर की जनता के आशाओं और अपेक्षाओं के अनुरूप तो किसी हाल में नहीं कहा जा सकता क्योंकि यहां ताबड़तोड़ गिरफ्तारियां उनकी हुई जो कम से कम प्राथमिकता के लिस्ट में नहीं थे। नए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने जिस प्रकार से मुजफ्फरनगर को संचालित किया उसके बाद यह सवाल जरूर उठने लगे हैं कि कहीं उनकी कार्यशैली देखकर तो मनोबल नहीं बढ़ा उन गौ तस्करों का और गौ हत्यारों का जिन्हें उत्तर प्रदेश के वर्तमान मुखिया योगी आदित्यनाथ किसी भी हाल में बर्दाश्त करने को तैयार नहीं है।

गौ हत्यारों और गौ तस्करों पर सख्त लगाम लगाने के लिए अभी हाल में ही योगी सरकार ने कानून इतने सख्त किए की गौ हत्या गौ तस्करी करने वाला तो दूर सोचने वाला भी खौफ में आ गया था लेकिन कल्पना कीजिए की जिला मुजफ्फरनगर में कुछ तो ऐसा रहा होगा जहां ऐसी घटनाएं कम होने की बजाएं बढ़ती चली गई और हालात ऐसे आ चुकी की एक-एक दिन में आधे आधे दर्जन गाय काट दी जाने लगे।

यद्यपि बड़ा आसान होता है पुलिस विभाग में उच्चाधिकारियों द्वारा खुद को सही साबित करवाना। दिशा निर्देश खुद देना और जब इन दिशा निर्देशों के चलते अपराध का बोलबाला हो जाए तो नीचे के कर्मचारियों पर गाज गिरा कर सारा दोस्त उन्हीं के मत्थे मढ़ देना। फिलहाल एक बार फिर से जिला मुजफ्फरनगर उस समय में जाता दिखाई दे रहा है जो योगी आदित्यनाथ के शासनकाल से ठीक पहले अखिलेश यादव के समय में हुआ करता था। यह गढ़ बन चुका है गौ तस्करी और गौ हत्या का और कम से कम उत्तर प्रदेश शासन के नए नियम यहां किसी भी हाल में प्रभावी नहीं दिख रहे हैं।

मिली जानकारी के अनुसार एक बार फिर से जिला मुजफ्फरनगर में काटी गई हैं गायें.. और उन्ही गौवंश के अवशेष मिलने से क्षेत्र में फैली है सनसनी. सुदर्शन न्यूज़ मुजफ्फरनगर संवाददाता समर ठाकुर के अनुसार गोकशी के खिलाफ योगी सरकार के सख्त रवैया और कड़े कानून बनाने के बावजूद भी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में गौ तस्करों के हौसले बुलंद हैं, एक साथ लगभग 1 दर्जन गोवंशों की हत्या कर गौ तस्करों ने पुलिस प्रशासन को खुली चुनौती दी है, वही ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि पुलिस को लगातार गोकशी की सूचना दी जा रही थी लेकिन पुलिस द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई, जिसके चलते मंगलवार की देर रात गोतस्करों इतनी बड़ी घटना को अंजाम दे डाला..

गोवंश के अवशेष मिलने पर स्थानीय लोगों ने पुलिस के खिलाफ हंगामा किया है लेकिन मामला मुज्जफरनगर से आगे न जाये इसलिए हर प्रयास शुरू कर दिए गए हैं.. ये पूरा मामला मुजफ्फरनगर के रतनपुरी थाना क्षेत्र के मुजाहिदपुर के जंगलों का है, जहां गौ तस्करों ने एक ही रात में तकरीबन 1 दर्जन गौवंशो की  हत्या कर मौके से फरार हो गए, घटना का खुलासा तब हुआ जब सुबह सोनू नाम का एक किसान खेतों में पानी चलाने के लिए अपनी ट्यूबवेल पर गया तो उसने देखा कि वहां एक साथ कई गोवंशों के अवशेष के साथ साथ खोका कारतूस भी पड़े हुए हैं..

स्थानीय लोगों को पुलिस के कार्यशैली की जानकारी थी लेकिन कानून का पालन करने की आदत से इसकी सूचना उसने तुरंत पुलिस को दी घटना का पता चलने के घण्टो बाद पहुची पुलिस मामले की छानबीन करने लगी.. ग्रामीणों का आरोप है कि 4 दिन से लगातार क्षेत्र में गोहत्या की घटना को अंजाम दिया जा रहा है, जिसकी सूचना ग्रामीणों द्वारा लगातार पुलिस को दी जा रही थी, लेकीन इसके बावजूद भी पुलिस द्वारा इसमें कोई कार्यवाही नहीं की गई, जिसके चलते मंगकवार की देर रात गौ तस्करों द्वारा इतनी बड़ी घटना को अंजाम दिया गया है, ग्रामीणों की माने तो अगर पुलिस द्वारा समय रहते कार्यवाही की जाती तो शायद यह घटना ना घटती..

वही इस मामले में बुढाना सीओ गिरजा शंकर त्रिपाठी की माने तो दो गौवंशो की सूचना पर पुलिस ने मौके पर पहुँचकर अज्ञात ने मुकदमा दर्ज कर आगे की कार्यवाही शुरू कर दी है, इस पूरी घटना में पुलिस ने जहाँ मौके पर पहुँचकर गौवंशो को जमीन में दबवाने का तो काम जरूर किया है, लेकिन मौके से मिले कारतूस किस प्रयोग में आये है, इसके बारे अभी पुलिस भी खुलकर कोई जवाब नही दे पा रही है, जबकि कयास ये भी लगाये जा रहे है,की कही इन गौवंशो की हत्या गोली मारकर तो नही की गई, बहराल ये तो अब पुलिस जांच के बाद ही स्पष्ठ हो पायेगा.. स्थानीय नागरिकों की दबी जुबान से माने तो गौ हत्या को रोकना किसी भी हाल में मुजफ्फरनगर के प्रशासन की प्राथमिकता में नहीं दिखाई दे रहा। मुजफ्फरनगर एक मिश्रित आबादी का जनपद माना जाता है और यहां सांप्रदायिक तनाव का पुराना इतिहास रहा है लेकिन ऐसे में भी गौ हत्या जैसी अतिसंवेदनशील सांप्रदायिक तनाव के लिए बेहद खतरनाक विषय को प्राथमिकता में ना रख कर तमाम हैरतअंगेज कार्यवाही करना कहीं-कहीं पुलिस प्रशासन की सोच व मानसिकता पर सवाल खड़े करता है।

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