34 साल पहले हुए रोडरेज केस में एक युवक की
मौत के कारण नवजोत सिंह सिध्दू को सुप्रीम कोर्ट ने 1 साल की सख्त सजा सुनाई है।
आपको बता दे कि पहले सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू को 1 हजार रुपए का जुर्माना भर ने को कहा था और उसके बाद छोड़ दिया था।
दरअसल, सिद्धू के खिलाफ रोडरेज का मामला साल 1988 का है। उस समय सिद्धू का पटियाला में पार्किंग को लेकर 65 साल के बुजुर्ग व्यक्ति से झगड़ा हो गया। उस बीच उन दोनों के बीच
हाथापाई भी हो गई और सिद्धू ने कथित तौर पर गुरनाम सिंह को मुक्का मार दिया। बुजुर्ग
होने के कारण उनकी मौत हो गई।
इसके बाद मामला अदालत में पहुंचा। आपके बता दे कि सुनवाई के दौरान सेशन
कोर्ट ने नवजोत सिंह सिद्धू को सबूतों का अभाव बताते हुए 1999 में बरी कर दिया था। इसके बाद पीड़ित पक्ष सेशन कोर्ट के फैसले
के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंच गया। साल 2006 में हाईकोर्ट ने इस मामले में
नवजोत सिंह सिद्धू को तीन साल कैद की सजा और एक लाख रुपए जुर्माने की सजा सुनाई
थी।
हाईकोर्ट से मिली सजा के खिलाफ
नवजोत सिद्धू सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए। सुप्रीम कोर्ट ने 16 मई 2018 को सिद्धू को गैर इरादतन हत्या के आरोप में लगी
धारा 304IPC
से बरी कर
दिया। हालांकि,
IPC की धारा 323, यानी चोट पहुंचाने के मामले में
सिद्धू को दोषी ठहरा दिया गया। इसमें उन्हें जेल की सजा नहीं हुई। सिद्धू को सिर्फ
एक हजार रुपया जुर्माना लगाकर छोड़ दिया गया।
जानकारी के
अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने सिध्दू के खिलाफ अब मृतक के परिवार ने पुनर्विचार याचिका
दाखिल की है। परिवार वालों की मांग है कि सिध्दू को सजा होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट
ने सिध्दू के खिलाफ 304 IPC के तहत 1 साल की कैद की सजा सुनाई है।