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चुनावों में हार के बाद कांग्रेस में घमासान , आचार्य प्रमोद ने मांगा इस बड़े नेता का इस्तीफा

राज्यों से कांग्रेस के जनआधार पर पूर्व सांसद प्रत्याशी और कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद ने ट्वीट

Sudarshan News
  • May 3 2021 5:19PM

पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजों आने के बाद कांग्रेस में आंतरिक कला उजागर होना शुरू हो गई है  , लगातार खत्म होता राज्यों से कांग्रेस के जनआधार पर पूर्व सांसद प्रत्याशी और कांग्रेस  नेता आचार्य प्रमोद ने ट्वीट करते हुए लिखा

"बंगाल,पंडिचेरी,असम,केरल में हुई करारी हार की “ज़िम्मेदारी” लेते हुए इन सभी PCC चीफ और प्रभारीयों के साथ AICC के प्रभारी महासचिव KC वेणुगोपाल जी को भी अपने पद से “इस्तीफ़ा”
दे देना चाहिये,ताकि राहुल जी द्वारा स्थापित नैतिक मूल्यों की रक्षा हो सके. @RahulGandhi @INCIndia"। 

 सूत्रों की माने तो  आचार्य प्रमोद के केसी वेणुगोपाल का इस्तीफा मांगने पर कांग्रेस में राहुल गांधी और गांधी परिवार के नेतृत्व पर सवाल उठने की सुगबुगाहट भी तेज हो गई है । 

पांच राज्यों  के चुनाव परिणाम के बाद कांग्रेस का प्रदर्शन

           पहले       अब
बंगाल-  44  से     0   
केरल     56 से    40 
आसाम  46  से ‌   36
पुड्डुचेरी  23  से   4 


ऐसे कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद पार्टी के अंदर नेतृत्व पर सवाल उठना तय था लेकिन गांधी परिवार के करीबी माने जाने वाले केसी वेणुगोपाल पर सोनिया गांधी और राहुल गांधी इस्तीफा या कार्रवाई करते हैं ,यह देखने वाली बात होगी ।

आपको बता दें समय के साथ कांग्रेस का जनाधार लगातार कम होता जा रहा है वोट प्रतिशत में कमी हर चुनाव नतीजे के बाद कांग्रेस के लिए आम बात हो गई है। ऐसे में एक उम्मीद प्रियंका गांधी कांग्रेस के लिए बची थी जिनको कांग्रेसी पार्टी के लिए संजीवनी मानते थे लेकिन उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में प्रियंका गांधी के सक्रियता के बावजूद मिली कांग्रेस को करारी हार ने अब इस बात पर भी पूर्ण विराम लगा दिया है ।

भारतीय जनता पार्टी के नेताओं का लगातार "कांग्रेस मुक्त भारत" का नारा हर चुनाव के बाद चरितार्थ होता जा रहा है , पश्चिम बंगाल में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजे के बाद कांग्रेस का  44 सीट से 0 सीट पर आना इसका पुख्ता सबूत है ।

पुडुचेरी में भी कांग्रेस का हाल खस्ता रहा और देश की सबसे बुजुर्ग पार्टी मात्र 4 सीट पर सिमट कर रह गई ,असम में भाजपा की सरकार बनी तो वहीं केरल में कांग्रेस और सहयोगी दलों को वामदलों ने सत्ता से दूर रखा और तमिलनाडु में कांग्रेस का जो हाल है वह सबके सामने है । ऐसी स्थिति में सोनिया गांधी क्या राजनीति से संन्यास लेगीं यह भी वर्तमान का विचारणीय विषय है ?

वहीं कांग्रेस की महिला नेत्री रागिनी नायक ने साहस करते हुए ट्वीट किया " यदि हम (कांग्रेसी) मोदी की हार में ही अपनी खुशी ढूंढते रहेंगे, तो अपनी हार पर आत्म-मंथन कैसे करेंगे 🙄" , जिससे यह साफ हो गया कि कांग्रेस को जरूरी आत्ममंथन की समझ तो है लेकिन गांधी परिवार से ऊपर उठकर क्या चुनाव में मिली हार पर मंथन होता है यह देखने वाली बात होगी ?

 

 

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