इनपुट-श्वेता सिंह, लखनऊ
उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होना है और यूपी में इसे लेकर सियासत तेज हो गई है। इस बार बीजेपी को पटखनी देने के लिए सभी राजनीतिक दल कमर कस रहे हैं । सपा भी सत्ता हासिल करने के लिए सभी दांव खेल रही है लेकिन उनके एक काबिल नेता के बयान ने सियासत में हलचल पैदा कर दी है।
जानिए आखिर कौन हैं ये काबिल नेता-
दरअसल पता हो कि अखिलेश यादव ने पश्चिम यूपी में जाट और मुस्लिम वोटों को साधे रखने के लिए आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी के साथ हाथ मिलाया है। जिसका फायदा पंचायत चुनाव में देखने को मिला है। तो दूसरी तरफ असदुद्दीन ओवैसी की यूपी में बढ़ती सक्रियता और कांग्रेस की मुस्लिम वोटों पर नजर को देखते हुए सपा प्रमुख ने अबु आसमी आजमी को मुसलमानों को साधे रखने का जिम्मा सौंपा है। लेकिन अबु आजमी की बदजुबानी ने जाटों को अब नाराज कर दिया है।
इसलिए जाट हुए नाराज-
दरअसल बता दें कि अबु असिम ने कहा था कि ‘मुजफ्फरनगर के दंगों के वक्त वेस्ट यूपी के लोग हमारे (समाजवादी पार्टी) साथ नहीं आए और बीजेपी के साथ गए। लेकिन, बाद में जाट समाज के लोगों ने स्टेज पर एक मौलाना का पैर छूकर माफी मांगी और कहा कि हमसे गलती हो गई।’ जिसे लेकर अब सियासत तेज़ हो गयी है और बीजेपी ने इसका फायदा उठाना शुरू कर दिया है।
बीजेपी ऐसे उठा रही फायदा-
सपा नेता अखिलेश यादव के जाट-मुस्लिम समीकरण सियासी जमीन पर उतरने से पहले ही आजमी के बयान को लेकर जाट नाराज हो गए हैं। जैसे ही अबु आजमी ने बयान दिया बस बीजेपी ने इसे तूल पकड़ा दिया।बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह से लेकर केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान तक खुद को जाट समुदाय का हितैशी बताते हुए सपा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। इतना ही नहीं बालियान खाप के चौधरी और भारतीय किसान युनियन अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत ने अबू आजमी को आड़े हाथ लेते हुए चुप रहने की हिदायत दी है। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि कहीं ये एक बयान अखिलेश यादव के गले की फांस न बन जाए और सपा के सत्ता पर काबिज होने का सपना कहीं चूर चूर न हो जाए।