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साढ़े तीन साल की बच्ची से युवक ने किया रेप... रेप के बीच चीखने और रोने पर तकिए से मुंह दबाकर की हत्या

पुलिस ने शेखर को गिरफ्तार कर​ लिया और पूछताछ के दौरान शेखर ने बालिका के साथ दुष्कर्म और हत्या का अपराध स्वीकार कर लिया.

Geeta
  • Sep 14 2021 5:45PM

देश अभी तक मुंबई की निर्भया काे भूला भी नही की आज ही रेप के कई मामलें सामने आए. एक मामला ऐसा सामने आया जिसे सुन एक बार फिर से आपकी रुह कांप जाएगी. मामला छत्तीसगढ़ राजनांदगांव जिले के चिखली पुलिस चौकी क्षेत्र के अंतर्गत एक गांव का है. जहां बच्ची गांव में अपने घर के बाहर खेल रही थी. तब आराेपी वहां आया और बच्ची काे अपने घर ले गया.

जानकारी के मुताबिक घर ले जा कर उसने बच्ची के साथ बलात्कार जैसी घटना काे अंजाम दिया. रेप के बीच में जब बच्ची जब वह रोने लगी तो तकिया के खोल से उसका मुंह और नाक दबाकर हत्या कर दी. जानकारी के मुताबिक जब पुलिस ने इसकी खाजबीन चालू की ताे बालिका को आराेपी कोर्राम के साथ देखा गया. काेर्ट ने आराेपी काे फांसी की सजा सुनाई है. ये सजा छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले की अदालत ने सुनाई है. आरोपी की उम्र 28 साल है

लोक अभियोजक ने बताया कि जब बालिका के परिजनों ने उसकी खोजबीन शुरू की तब उन्हें जानकारी मिली कि बालिका को शेखर कोर्राम के साथ देखा गया है. उन्होंने बताया कि बालिका के परिजनों ने इसकी जानकारी पुलिस को दी. पुलिस ने शेखर को गिरफ्तार कर लिया और पूछताछ के दौरान शेखर ने बालिका के साथ दुष्कर्म और हत्या का अपराध स्वीकार कर लिया.

उन्हाेंने बताया कि बाद में पुलिस ने अदालत में शेखर के खिलाफ आरोप पत्र प्रस्तुत किया. अदालत ने दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद शेखर को मामले का दोषी पाया और उसे भारतीय दण्ड संहिता की धारा 363 के आरोप में सात वर्ष सश्रम कारावास और पांच हजार रुपए अर्थदंड, धारा 366 के तहत आरोप में 10 वर्ष सश्रम कारावास और पांच हजार रुपए अर्थदंड, धारा 201 के तहत आरोप में सात वर्ष सश्रम कारावास और पांच हजार रुपए अर्थदंड तथा भारतीय दण्ड संहिता की धारा 302 और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम की धारा छह के तहत मृत्युदंड की सजा सुनाई है.

अधिवक्ता ने बताया कि अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि अभियुक्त ने साढ़े तीन वर्षीय असहाय, बेबस और लाचार बालिका का अपहरण कर उसका बलात्कार किया और उसकी हत्या कर दी. यह अपराध जघन्य प्रकृति का है और अभियुक्त किसी भी प्रकार से सहानुभूति का पात्र नहीं है. अदालत ने कहा कि अभियुक्त ने ऐसा अपराध किया है जो मानवता को शर्मसार करता है. ऐसे अपराधों से आम नागरिक के मन में अपनी संतान के जीवन की सुरक्षा को लेकर आंतरिक छटपटाहट होने लगती है तथा वह सशंकित रहने लगते हैं.

उन्हाेंने कहा कि जब तक समाज में ऐसे अपराध करने वालों को मृत्युदंड से दण्डित नहीं किया जाएगा तब तक लोगों के मन से यह संशय मिट नहीं सकता. अदालत ने कहा है कि इस प्रकार के कठोर दण्ड से दण्डित किए जाने पर ही समाज के लोगों और मृतक बच्ची के परिजनों की अदालत के प्रति आस्था और दृढ़ विश्वास होगा कि उनके साथ न्याय हुआ है.

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