लगातार कांग्रेस पार्टी(Congress) के अंदर हो रही अंदरूनी कलह की खबरे सामने आती रहती है, बीते दिनों पंजाब में हुए सियासी तख्तापलट से ये बात तो साफ़ जाहिर हुई कि कांग्रेस पार्टी की हालत उतनी अच्छी नहीं है, जितनी उसकी होनी चाहिए थी। वहीं, बीते साल राजस्थान(Rajasthan) में हुई अशोक गेहलोत और सचिन पायलट की लड़ाई ने भी सवाल उठाये थे कि कांग्रेस की चुनावी जीत के सपने से पहले आपसी मनमुटावो का ये 'बुरा सपना' भुलाना पड़ेगा।
वही, आज कांग्रेस पार्टी के लिए मुश्किलो का दौर फिर से शुरू हो गया है क्योकि एक सात पार्टी के 7 नेताओ ने इस्तीफा दे दिया है। जिन 7 नेताओ ने इस्तीफा दिया है वो दिग्गज नेता गुलाम नबी आज़ाद के काफी करीबी बताये जाते है।
अंदर के लोगो का शत्रुतापूर्ण रवैया है इस्तीफे की वजह
अपने पदों से इस्तीफा देने के बाद इन नेताओं ने आरोप लगाया कि उन्हें प्रदेश कांग्रेस नेतृत्व के शत्रुतापूर्ण रवैये के चलते यह कदम उठाना पड़ा. उन्होंने प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गुलाम अहमद मीर (Ghulam Ahmad Mir) पर निशाना साधा है.
जानकारी के मुताबिक पूर्व उप मुख्यमंत्री तारा चंद समेत आजाद के करीब कुछ अन्य नेताओं ने इस्तीफा देने वाले नेताओं से दूरी बना ली है. इन नेताओं ने अपने इस्तीफे में कहा कि उन्होंने अपने मुद्दों की तरफ पार्टी आलाकमान का ध्यान खींचने की कोशिश की, लेकिन उन्हें समय नहीं दिया गया. इन नेताओं का कहना है कि वे पिछले करीब एक साल से पार्टी नेतृत्व से मिलने का समय मांग रहे थे, लेकिन उन्हें वक्त नहीं दिया गया.
पार्टी की हालत बहुत खराब
मीर पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि मीर के अध्यक्ष रहते पार्टी बहुत ही दयनीय स्थिति की तरफ बढ़ रही है और पार्टी के बहुत सारे नेता इस्तीफा देकर दूसरे दलों में शामिल हो गए, लेकिन कुछ ने खामोश रहने का फैसला किया है. उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि जम्मू-कश्मीर प्रदेश कांग्रेस के कामकाज पर कुछ नेताओं ने कब्जा जमा रखा है.