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GYANVAPI परिसर में शिवलिंग को फव्वारा बताए जाने के बाद उसमें निकले 63cm छेद, कोर्ट में हिंदू पक्ष ने की परिसर को सील करने की माँग...

शिवलिंग के साथ छेड़छाड़ की गई है और साथ ही उसे अपमानित भी किया गया है। शिवलिंग में 63 सेंटीमीटर छेद किए गए है जिससे उसे फव्वारा साबित हो जाए।

Vaishnavi Chauhan
  • May 27 2022 5:01PM

ज्ञानवापी परिसर का मामला कोर्ट तक पहुँच चुका है। कोर्ट के आदेश के बाद हुए सर्वे में एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। बता दे कि कोर्ट में हिंदू पक्ष ने कहा है कि शिवलिंग के साथ छेड़छाड़ की गई है और साथ ही उसे अपमानित भी किया गया है। शिवलिंग में 63 सेंटीमीटर छेद किए गए है जिससे उसे फव्वारा साबित हो जाए। वाराणसी कोर्ट में गुरुवार को सुनवाई के दौरान हिंदू पक्ष ने मुस्लिम पक्ष पर कई आरोप लगाए। हिंदू पक्ष ने कोर्ट में बताया कि हिंदू धर्म के आस्था के प्रतिबिंब महादेव के प्रतीक शिवलिंग का तिरस्कार किया गया और साक्ष्यों के साथ जानबूझकर छेड़छाड़ की गई। बता दें कि मस्जिद के वजूखाना में ही शिवलिंग मिला है, जिसे मुस्लिम फव्वारा बता रहा है। वहीं, लोग पूछ रहे हैं कि 500 साल पहले यह फव्वारा चलता कैसे था।

वाराणसी कोर्ट में लगभग दो घंटे तक चली बहस में हिंदू पक्ष पर मुस्लिम पक्ष ने स्थान का स्वरूप बदलने का आरोप लगाया। इस हिंदू पक्ष वकील विष्णु जैन ने कहा कि कमीशन की रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि वहाँ मंदिर था और शिवलिंग मिला है। जब शिवलिंग मौजूद है तो इसी से साफ हो जाता है कि धार्मिक स्वरूप किसने बदलने की कोशिश की। विष्णु जैन ने कहा कि मस्जिद परिसर में मौजूद साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ करने वाले को CRPF ने पकड़ा है। उन्होंने कहा कि मस्जिद परिसर में मौजूद चकरी को दूसरे पक्ष के लोग फव्वारा का हिस्सा बताते हुए लेकर जा रहे थे। ऐसा करते हुए CRPF ने उन्हें पकड़ लिया और सामान को स्टोर में रखवा दिया। अधिवक्ता जैन ने पूरे परिसर की निगरानी को मजबूत करने की माँग की। 

उधर, विश्व वैदिक सनातन संघ के संस्थापक जितेंद्र सिंह बिसेन ने भी चौक थाना में एक पत्र देकर ज्ञानवापी परिसर में मौजूद स्वरूप के साथ लगातार छेड़छाड़ की जाने की शिकायत की है। इस मामले उन्होंने अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमिटी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की माँग की है। इधर, मुस्लिम पक्ष ने सुनवाई के दौरान कोर्ट में कहा कि इस मामले में पूजास्थल कानून-1991 लागू होता है। इसके साथ ही उसने तर्क दिया कि माता श्रृंगार गौरी का केस सुनवाई करने लायक नहीं है, इसलिए इसे खारिज किया जाए। मुस्लिम पक्ष ने कहा कि परिसर में शिवलिंग मिलने की अफवाह उड़ाई गई है।

तमाम दलीलों को सुनने के बाद कोर्ट ने 30 मई तक के लिए मामले को टाल दिया है। बता दें कि इस मामले में सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने जिला जज को 8 सप्ताह का समय दिया है। इस दौरान नमाज पढ़ने और शिवलिंग की सुरक्षा सहित सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम निर्देश लागू रहेंगे।

 

 

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