सेक्यूलर भारत में हिंदू आस्थाओं के साथ किस कदर खिलवाड़ हो रहा है, किस तरह हिंदुओं की आस्थाओं के केंद्र मंदिरों पर हमले हो रहे हैं, उसी का जीता जागता उदाहरण है दक्षिण भारत के राज्य तमिलनाडु से जुडी ये खबर. खबर के मुताबिक़, तमिलनाडु में हिंदू मंदिरों के साथ सेक्यूलर सरकारों में बड़ा खेला हुआ है. पिछले 36 सालों में हिंदू मंदिरों की 47 हजार एकड़ जमीन सरकारी रिकॉर्ड में गायब हो गई है. अब इस मामले पर मद्रास हाईकोर्ट ने तमिलनाडु सरकार से जवाब माँगा है.
बता दें कि जस्टिस एन किरुबाकरण और जस्टिस थमिलसेल्वी की अगुवाई वाली मद्रास HC बेंच एक रिट याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें मंदिरों के रखरखाव के लिए इन जमीनों से मिली आय का उपयोग करने के लिए मंदिर की भूमि को पुनः प्राप्त करने की मांग की गई थी. इस दौरान राज्य सरकार की प्रतिक्रिया की मांग करते हुए, कोर्ट ने कहा कि 1984-84 के नीति नोट में मंदिर की भूमि की उपलब्धता 5.25 लाख एकड़ बताई गई थी, जबकि 2019-20 के लिए यह सिर्फ 4.78 लाख एकड़ है. हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूंछा है कि बाकी जमीन कहां गई? कहाँ गायब हो गई?
मद्रास हाईकोर्ट ने कहा कि यह प्रथम दृष्टया दिखता है कि जब दो पॉलिसी नोटों की तुलना की गई तो 47,000 एकड़ 'लापता' था. उसने राज्य सरकार को एचआर एंड सीई (हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती) विभाग की ओर से नोटिस लेने का निर्देश दिया और 5 जुलाई तक जवाब दाखिल करने के लिए कहा है. बेंच ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह 1984-85 और 2019-20 के पॉलिसी नोट में यह जानने के लिए भूमि के विवरण और सर्वेक्षण संख्या के साथ हलफनामा दाखिल करे कि किन-किन जमीनों को सरकार के नियंत्रण से बाहर कर दिया गया है.
जजों ने स्पष्ट कहा कि दो पॉलिसी नोट का अध्ययन करने से ऐसा प्रतीत होता है कि 47,000 एकड़ जमीन गायब हुई है. इसके साथ ही कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार और आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) को राज्य के भीतर ऐतिहासिक/पुरातात्विक महत्व के साथ सभी संरचनाओं, स्मारकों, मंदिरों, प्राचीन वस्तुओं की पहचान करने के लिए 17 सदस्यीय विरासत आयोग का गठन करने का आदेश भी दिया है. इसके अलावा कोर्ट ने राज्य सरकार को इसके पर्यवेक्षण के साथ ही मदिरों या स्मारकों की मरम्मत का आदेश भी दिया है.
खास तौर पर कोर्ट ने हर मंदिर में स्ट्राँग रूम सहित मूर्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए वीडियो सर्विलांस और सभी मूर्तियों के कम्प्यूटरीकृत डेटा समेत उनकी तस्वीरों की सुरक्षा के लिए निर्देश भी दिए हैं. सुनवाई करते हुए मद्रास हाईकोर्ट के जजों ने जोर देकर कहा कि राज्य सरकार को वर्ष 1984-85 की पॉलिसी नोट में दिए गए जमीनों के विवरण और नए नोट के विवरण और सर्वे के साथ एक जवाबी हलफनामा दायर किया जाना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि मानव संसाधन और सीई विभाग को इससे संबंधित जानकारी को जमा करने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए क्योंकि इस बात की उम्मीद है कि इसके कब्जे की डिटेल्स उसी में होगी.