यद्दपि हमें सुनाई भले ही ना जाती हो पर ये सत्य है कि भारत की भूमि कभी भी वीरों से खाली नहीं रही है . ये वो भूमि है जहाँ समय समय पर वीरों ने जन्म लिया है और शांत क्षेत्रों में जो भी खुशहाली दिखाई देती है वो उन्ही के बलिदान का प्रतिफल होती है जो दिन और रात ना सिर्फ जाग कर अपितु अपने प्राणों को त्याग कर हमारी रक्षा करते हैं और अपनी बन्दूकों की गरज से बचे भारत को शांत बनाए रखते हैं . उन्ही अनंत बलिदानियों में से एक थे महायोद्धा बबलू सिंह जी जिनका आज ही के दिन बलिदान दिवस है.
जाट रेजीमेंट की एल्फा कंपनी के ‘शेर’ कहे जाने वाले बबलू सिंह जी ने इस से पहले भी कई बार आतंकियों को ढेर किया था .. बड़े अभियान में उनकी बार बार जरूरत सामने आती थी … जून, 2005 से वो फ़ौज में थे .. वो जब भी अपने गांव में आते तो वहां के दूसरे नौजवानों से फ़ौज में जाने की तैयारी बनाने की बात किया करते थे .. वो कहते थे कि सीना चौड़ा तब होता है जब शरीर पर वर्दी हो ….बलिदानी बबलू वर्ष 2014 से इस्लामिक आतंक से त्रस्त जम्मू कश्मीर में तैनात थे। बलिदानी मथुरा के गांव झंडीपुर के रहने वाले थे जो तत्कालीन समय में कश्मीर के कुपवाड़ा में पोस्टेड थे और सीमाओं की रक्षा कर रहे थे.
3 जुलाई 2016 को अंतिम बार बात कर के वो घर से ये कह कर बाहर निकले कि उन्हें मोबाइल जमा करना होगा क्योकि उनका अभियान बहुत खतरनाक है और उनकी बटालियन अभियान पर निकल रही गद्दारों के सफाए के … इसके बाद उनके घर वालों ने कई बार फोन लगाया पर उनका फोन नहीं लगा क्योंकि उन्हें बेहद दुर्गम और आतंक प्रभावित इलाको का लक्ष्य मिला था जो वो बेहद कुशलता से कर भी रहे थे.
30 जुलाई अर्थात आज ही के दिन को तड़के जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के नौगाम सेक्टर में इस्लामिक आतंकियों से मुठभेड़ में ये योद्धा वीरगति पाया .. सेना के अधिकारी बताते हैं कि बबलू सिंह ने अदम्य साहस का परिचय दे कर युद्ध किया और गोलियां लगने के बाद भी वो आतंकियों पर अपनी बन्दूक से निकले बारूद की बौझार करते रहे ..आँख बंद होने से पहले इस वीर ने दो इस्लामिक आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया पर जब तक उनको नजदीकी चिकित्सा शिविर ले जाया गया तब तक माँ भारती की रक्षा करता हुआ ये बलिदानी सदा सदा के लिए अमरता पा चुका था ..
पराक्रम और शौर्य के ऐसे प्रतिमूर्ति को आज उनके बलिदान दिवस पर सुदर्शन न्यूज बारम्बार नमन वंदन और अभिनंदन करता है और सेना के हर विरोधी को एक बार राष्ट्र्भकित की शिक्षा लेने के लिए बलिदानियों के घर जा कर थोडा समय बिताने की सलाह देता है … बबलू सिंह जी सदा अमर रहेंगे जब भी कहीं वीरता , शौर्य और पराक्रम की बात होगी वहां .. जय हिन्द की सेना … जय भारत .. वन्देमातरम