यदि किसी राज्य की कानून व्यवस्था को पटरी पर लाने में और समाज में सुरक्षा और शांति की भावना स्थापित करने में सबसे ज्यादा योगदान होता है तो वो होता है वहां की पुलिस का. उत्तर प्रदेश में जिस कानून के राज की चर्चा होती है उसको कायम करने में उत्तर प्रदेश की पुलिस का सिर्फ पसीना ही नहीं बल्कि खून ही बहा है. इसके जीवंत उदाहरण सब इंस्पेक्टर सहजोर सिंह, सब इंस्पेक्टर जय प्रकाश सिंह, सिपाही अंकित तोमर और 2 साल पहले आज के दिन अमरता को प्राप्त करने वाले कांस्टेबल सतीश यादव हैं. अपने कर्तव्य को अपने प्राणों से भी ऊपर रख कर इन वीरों ने समाज को खुशहाली दे कर खुद ओढ़ लिया कफन.
आज चर्चा हो रही है उत्तर प्रदेश के आगरा पुलिस की. गीता के जिस श्लोक “परित्राणाय साधूना, विनाशाय च दुष्कृताम” को प्रभु श्री कृष्ण हजारों वर्ष पहले उपदेश दे कर गये थे उसी सिद्धांत को एक अपने खुद के अंतर आत्मसात कर के आगरा के पुलिस बल ने जिसमे सतीश यादव भी थे , उन उन इलाकों में न्याय , नीति और कानून का शासन स्थापित किया जहाँ कभी अपराधी ने अपना सर उठाना चाहा था. ये घटना रात की है जब आगरा गहरी नींद में सो रहा था क्योकि उसको पता था कि उसके रक्षक बाहर सडको पर जाग कर उनकी रक्षा कर रहे हैं और ये सच भी था क्योकि उसी समय सतीश यादव बाहर सूनसान गलियों में भिड़ा था 3 अपराधियों से एक साथ.
ये घटना आज की थी अर्थात 29 जुलाई की और स्थान था आगरा का एत्माद्दौला क्षेत्र का प्रकाशपुरम. इस इलाके में चोरी की बदनीयती से घूम रहे चार बदमाशों को सिपाही सतीश यादव और कुलदीप ने घेर लिया था. साक्षरता से दूर ये सभी आरोपी दिन में मजदूरी करते थे और रात में चोरी करते थे. इनकी 25 से 30 साल के बीच थी. तड़के सुबह 4.20 पर सिपाही सतीश चन्द्र यादव और कुलदीप गश्त खत्म कर टेढ़ी बगिया पुलिस बूथ पर अपने हथियार रख फ्रेश होने जा रहे थे. टेढ़ी बगिया 100 फुटा रोड पर उन्हें काली पल्सर पर चार बदमाश दिखे तो उन्हें टोका. इस पर बदमाशों ने बाइक यू टर्न कर प्रकाश पुरम के रास्ते पर खड़ी कर दी और उतरकर गली की तरफ भागे। यह देख दोनों सिपाहियों ने दौड़ाकर एक-एक बदमाश को पकड़ लिया। सतीश ने बदमाश से तमंचा भी छीन लिया.
अपने साथी को घिरते देख दूसरे बदमाश ने सतीश यादव को दो गोलियां मारी दीं. जिससे सतीश वहीं गिर पड़े. ये देख साथी सिपाही कुलदीप दबोचे गए बदमाश को छोड़ सतीश के पास पहुंचे. उधर बदमाश भाग निकले. बाद में कुलदीप ही घायल सतीश को बाइक पर लेकर अस्पताल पहुंचे, लेकिन तब तक काफी रक्त स्राव होने के चलते सतीश यादव अमरता को प्राप्त हो चुके थे. सतीश मूल रूप से अलीगढ के रहने वाले थे. आज एक वर्ष होने पर सतीश यादव को आज उनके बलिदान दिवस अर्थात 29 जुलाई को बारम्बार नमन और वन्दन करते हुए उनकी यशगाथा को सदा सदा के लिए अमर रखने का संकल्प सुदर्शन परिवार लेता है. साथ ही समाज से अपेक्षा करता है पुलिस वालों के प्रति अपने नजरिये में एक सकारत्मक बदलाव का जो उनकी रक्षा के लिए हर तकलीफ खुद पर झेलते हैं. सतीश यादव अमर रहें.