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महज 22 साल की उम्र में दुर्वेश बने युवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत

आज के आधुनिक युग में भले ही कंपीटिशन काफी बढ़ गया है, लेकिन अभी कुछ ऐसे युवा हैं, जो लगातार सफलता की सीढ़ियों को छूकर अन्य युवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत बन रहे हैं। उनमें ही एक नाम है युवा लेखक यूथ स्पीकर एवं सीरियल एंटरप्रेन्योर दुर्वेश का। महज 22 साल की उम्र में दुर्वेश द्वारा लिखी गई पुस्तक ने ना केवल लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया, बल्कि बड़े बड़े बोलीवुड स्टारों ने भी उनके इस प्रयास की भरपूर प्रशंसा की। मौजूदा समय में जहां दुर्वेश अपने लक्ष्य की तरफ लगातार आगे बढ़ रहे हैं, वहीं वह अन्य युवाओं को भी जीवन के मूल मंत्र के बारे में बताकर उन्हें सफलता की सीढ़ी को कैसे छू सकते हैं, का ज्ञान भी बांट रहे हैं। आईये जानते हैं इस युवा लेखक दुर्वेश के जीवन के बारे में...

Priyesh singh
  • Feb 22 2022 2:41PM
दुर्वेश बचपन से ही होशियार थे। उनमें समझने सोचने की शक्ति अन्य बच्चों के मुकाबले कहीं ज्यादा थी। महज 18 साल की उम्र में अपने पेशेवर करियर की शुरुआत करते हुए उन्होंने जल्द ही कॉलेज में पढ़ाई के दौरान शीर्ष पर रहने की काफी महत्वाकांक्षा हासिल कर ली। अब तक उन्होंने उस सम्मान का स्तर हासिल कर लिया है जिसका हम सभी का सपना होता है। कॉलेज के पहले वर्ष में 8.45 सीजीपीए के शीर्ष स्कोर के साथ दुर्वेश ने उत्कृष्ट सीजीपीए वाले लोगों की कहानियों को सुनकर तनाव लिया। जिन्हें प्रसिद्ध बहु-राष्ट्रीय कंपनियों द्वारा खारिज कर दिया गया था। तनावग्रस्त मन से वह ऐसी कहानियों के विचार से आसक्त होने लगे और उसके मन में एक ऐसा प्रश्न आया जिसने उसे पूरी तरह से अवसाद में डाल दिया। उसका एक ही प्रशन था कि क्या उसकी चार साल की शिक्षा किसी काम की होगी। करीब 6 महीने तक वह उदास रहा और बाद में उसका स्कोर 8.45 से गिरकर 2 सीजीपीए हो गया। अवसाद ने उसे अलग कर दिया और उसे एक ओर स्तर तक परेशान कर दिया। हालांकि जब रात सबसे गहरी लगती है, तो तारे सबसे अधिक चमकने लगते हैं। प्रेरक फिल्मों और किताबों के माध्यम से एक क्रमिक उत्थान ने उन्हें बाहर निकालना शुरू कर दिया और उन्हें खूबसूरती से शानदार और अनोखे विचारों से भर दिया, जो न केवल उन्हें बल्कि किसी को भी इसके बारे में जानने के लिए बाध्य कर रहे थे। थिंक एंड ग्रो रिच एक ऐसी किताब है जिसे हमारे नायक दुर्वेश ने हमें सुझाया क्योंकि इसने कठिन समय में उनकी मदद की। महज 22 साल की छोटी उम्र में महत्वाकांक्षी उद्यमी दुर्वेश यादव ने बेस्टसेलर, "वट दे डोंट टीच अस" नाम की एक पुस्तक लिखी, जिसमें उसने युवाओं को यह समझाने का प्रयास किया कि उन्हें समाज, स्कूलों व कालेज में क्या कुछ नहीं सिखाया जाता। इस किताब ने युवाओं को काफी प्रभावित किया। उन्होंने राइजिंग स्टार डिजिटल मीडिया के संस्थापक के रूप में कड़ी मेहनत और निपुणता हासिल की, एक ऐसा व्यवसाय जो अन्य ब्रांडों और व्यवसायों को बढ़ने में मदद करने के लिए ब्रांडिंग और मार्केटिंग प्रदान करता है। इन सबके बीच वो भीड़ से बाहर निकले और इतने अलग तरह से चमके कि खुद कई लोगों के लिए स्टार बन गए। --- कुछ करने के लिए डिग्री की जरूरत नहीं स्कूल में रहते हुए दुर्वेश एक अलोकप्रिय बच्चे थे। उन्होंने 10वीं कक्षा में अपनी अंग्रेजी भी छोड़ दी। इन सबके बावजूद उन्होंने सामाजिक दबावों को बनाए रखने के लिए अपना सब कुछ दे दिया और अपने पूरे स्कूल के दिनों में बहुत अच्छा किया। इस तरह के उतार-चढ़ाव ने उसे अपने भीतर से ज्ञान को बाहर निकालने के लिए पर्याप्त सिखाया है और उसे अपने आसपास की दुनिया के लिए एक मूर्ति के रूप में आकार दिया है। दुर्वेश में कभी हार न मानने और चलते रहने और न केवल जाने बल्कि जीतने की भावना है। जिस कारण वह युवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत बने हुए हैं। उनका मानना है कि जीवन गुगल की तरह है। आपको परिणाम तभी मिलते हैं जब आप चाहते हैं और उसे खोजते हैं। वह कहते हैं कि कुछ ऐसा करो कि कुछ करने के लिए आपको डिग्री की जरूरत न पड़े।

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