15 दिन बाद होता है कोरोना मृतक की अस्थियों का विसर्जन
15 दिन तक करोना मृतक की अस्थियों को एक कमरे में रखा जाता है उसके बाद अस्थियों को विसर्जित किया जाता है।
नोएडा-सुदर्शन न्यूज़ गौतमबुद्ध नगर के सेक्टर 94 स्थित अंतिम निवास यानी कि शमशान घाट पहुंचा जहां पर ग्राउंड जीरो पर जाकर जायज़ा लिया कि रोजाना कोरोना वायरस संक्रमित कितने मरीज आते हैं और उनका दाहसंस्कार कैसे होता है। जब हम वहाँ पहुँचे तो देखा स्वास्थ्य कर्मियों की टीम और पुलिसकर्मी मृतक कोरोना वायरस पॉजिटिव मरीज के शव को लेकर आये और दाहसंस्कार के लिए ले जाने लगे दाहसंस्कार CNG और लकड़ियों दोनो तरह से होता है। दाहसंस्कार के जो लोग पैसे देना चाहते है उसकी फीस 2300 रुपए है और जो लोग पैसे देने में असमर्थ हैं उनके लिए फ्री सेवा भी है लेकिन स्वास्थ्यकर्मी अपना भी खास ख्याल रख रहे है उन्होंने अपने आप को पूरा कवर किया हुआ है जिससे वो खुद भी संक्रमित ना हो जाये।साथ ही हमने अंतिम निवास के संचालक राजेश बैरागी से भी बातचीत की जिन्होंने बताया रोजाना 2 से 3 कोरोना संक्रमित मृतक आते या कभी-कभी संख्या बढ़ भी जाती है। मृतको का सीएनजी और लकड़ियों के जरिए दाहसंस्कार किया जाता है दाहसंस्कार के बाद पूरी जगह को सैनिटाइज भी किया जाता है और जो अस्थियां होती है उनको एक अलग कमरे मैं 15 दिन के लिए रखा जाता है इसके बाद मृतक के परिजन अगर अस्थियां लेने आ जाते हैं तो उनको अस्थियां दे दी जाती हैं। और अगर परिजन अस्थियां लेने नही आते है तो 15 दिन के बाद शमशान घाट के संचालक उन अस्थियों गंगा जी में विसर्जित कर देते हैं जिससे मृतक का शरीर पंचतत्वों में विलीन होकर मोक्ष की प्राप्ति कर सके। यहां गौर करने वाली बात ये है कि जहां कोरोना के चलते मृतक के परिजन अपने प्रियजनों को अंतिम विदाई देने के लिए नहीं आ सकते ऐसे में स्वास्थ्य कर्मी और पुलिसकर्मी एक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं दूसरों के परिजनों को अंतिम विदाई देते है। सुदर्शन न्यूज़ इन तमाम योद्धाओं को सैल्यूट करता है। लेकिन हालात बेहद खराब है इसीलिए आप अपने परिवार और अपनी सुरक्षा खुद कीजिए बेहद जरूरी ना हो तो घर से बाहर मत जाइये तभी कोरोना से बचा जा सकता है।
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