1971 के युद्ध में पाकिस्तान को धूल चटा कर भारत भूमि को अपने रक्त से सिंचित कर के सदा सदा के लिए अमर हो गए महायोद्धा अगर सिंह जी ने आज भी इसी भारत भूमि के लिए अपने प्राणों का बलिदान किया था. उन्हें ना ही प्रचार की लालच थी, न ही कोई स्वार्थ था उनका. उन्होंने मीडिया में आ कर अपनी तारीफ खुद से कभी नहीं की. वर्ण आज शरिया कानून मांग रहा और देश के ही निवासियों को पाकिस्तान के जैसा बताने वालों के गुण गए रहा ये समाज कम से कम उनकी जय उनके बलिदान दिवस पर बोल रहा होता. लेकिन इन्होने किसी मोह या माया के लिए बल्कि अपने वतन के प्रेम को ध्यान में रख कर अपने प्राण दिए थे.
श्री अगर सिंह जी बचपन से ही सेना में जाने के स्वप्न के साथ जिए और सेना की वर्दी पर पहन कर ही उन्होंने अपने प्राण त्यागे. उनके नहीं अपितु ये देश के लिए दुर्भाग्य का विषय रहा की उनके स्मारक के लिए उनके घर वालों को संघर्ष करना पड़ा जबकि उनके पूरे गाँव की मांग थी की उनका स्मारक बने जो आने वाली पीडियों को कम से कम फ़ौज में जाने को प्रेरित करता रहे और इलाके में राष्ट्रभक्ति की भावना बनाये रखे. उन्हें उस समय बेहद ख़ुशी हुई थी जब उन्हें अपने देश पर प्राण न्योछावर करने के का अवसर मिला था क्योकि ये वही समय था जिसके लिए वो जन्म से ही प्रतीक्षा कर रहे थे.
राजपूताना रायफल्स के इस वीर का स्मारक काफी जद्दोजहद के बाद सांकड़ा थाना क्षेत्र के भैंसड़ा ग्राम पंचायत में बना है पर रखरखाव की उपेक्षा के चलते ये स्थान बिलकुल ही निर्जन और वीरान हो चला है. ना ही कोई रंग रोशन और ना ही कोई सौंदर्यीकरण है यहाँ. ये बात इसलिए भी कही जा रही है क्योंकि इसी देश में बकरी की रस्सी तक सम्हाल कर रखी गयी है और कुछ की धोती तक का अपमान करना भी गुनाह है. भारत पाक युद्ध में धर्म रक्षा करते हुए विधर्मियो को धूल चटा देने वाले उस महावीर, परम बलिदानी को आज सुदर्शन न्यूज बारम्बार नमन , वंदन और अभिनन्दन करता है.