ज़रूरतमंद किसानों तक मदद पहुंचाने, उन्हें अपने पैरों पर खड़ा करने के उद्देशय से शुरू की गई प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि में बडे फर्ज़ीवाड़े का खुलासा हुआ है. उत्तराखंड में करीब 11 हज़ार अपात्र लोग ज़रूरतमंदों के नाम पर दी गई 11 करोड़ की रकम डकार गए. इनके खिलाफ अब वसूली की कार्रवाई शुरू कर दी गई है. प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के तहत लघु एवं मझौले ज़रूरतमंद किसानों को साल में तीन किस्तों में छह हज़ार रुपये की मदद दी जाती है.
टिहरी में सबसे ज़्यादा
उत्तराखंड में किसान सम्मान निधि के लाभार्थियों का सत्यापन किया गया तो पता लगा कि 11 हज़ार से अधिक ऐसे लोग योजना का लाभ ले रहे हैं, जो इसके लिए पात्र ही नहीं हैं. करीब 11 करोड़ से अधिक की धनराशि इनके खातों में जा चुकी है. इनमें नौ हज़ार लाभार्थी तो ऐसे हैं जो आयकर तक दे रहे हैं. विभाग ने अब ऐसे अपात्र लोगों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है.
कृषि मंत्री सुबोध उनियाल का कहना है कि फ़ॉर्म भरते समय किसानों को स्पष्ट बता दिया गया था कि यदि कोई पात्रता के लिए गलत जानकारी देता है तो इसका जिम्मेदार वह स्वयं होगा.
आयकर तक जमा करने वाले अपात्र काश्तकार सबसे अधिक टिहरी ज़िले में 1515 पकड़ में आए हैं. इसी तरह हरिद्वार में 1238, अल्मोड़ा में 1030, देहरादून में 991, यूएसनगर में 715, उत्तरकाशी में 560, चमोली में 415, पिथौरागढ़ में 432, चम्पावत में 337, बागेश्वर में 253, पौड़ी में 301, रुद्रप्रयाग में 336 लाभार्थी अपात्र पाए गए.
वसूली के नोटिस
इस धोखाधड़ी का खुलासा पीएम किसान पोर्टल के जरिए हुआ. सत्यापन के दौरान आधार कार्ड नंबर और बैंक खाता संख्या का जब नेशनल पोर्टल पर मिलान किया गया तो पता लगा कि कई किसान पहले से ही कई योजनाओं का लाभ ले रहे हैं और कई आयकर तक चुका रहे हैं.
राजस्व विभाग ने अब इन पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है. राजस्व परिषद के आयुक्त बीएम मिश्रा का कहना है कि सभी जिलाधिकारियों को पत्र भेजकर ऐसे काश्तकारों से वसूली कर पैसा पीएम किसान निधि में जमा करने को कह दिया गया है. संबंधित बैंकों को भी अपात्र किसानों की सूची भेजकर उनके खातों से पैसे की वसूली करने और पीएम किसान सम्मान निधि की सातवीं किश्त न डालने को कहा गया है.