ये किस्सा 1857 की क्रांति से भी 5 दशक पुराना है. इस इतिहास में भारत के पहले स्वतंत्रता संग्राम का जब भी जिक्र आता है तो हमें सबसे पहले 1857 की क्रांति ही याद आती है, लेकिन 1806 में 10 जुलाई को ही वेल्लोर में भारतीय सिपाहियों ने अंग्रेजों के खिलाफ पहला विद्रोह किया था. बताया जाता है कि विद्रोहियों ने वेल्लोर किले पर कब्जा करके 200 अंग्रेज सैनिकों को मारा और घायल कर दिया था.
बता दें कि भारतीय सिपाहियों के इस विद्रोह की वजह अंग्रेजों का नया ड्रेस कोड था. इस ड्रेस कोड में हिन्दू सैनिकों को तिलक न लगाने और मुस्लिम सैनिकों को दाढ़ी काटने का हुक्म दिया गया था. इसके अलावा सभी को एक कलगी लगा हैट भी पहनने का आदेश मिला था. वहीं, फिर क्या था सैनिकों ने अंग्रेजों के इस हुक्म का विरोध किया. अंग्रेजों ने विरोध करने वाले सैनिकों पर कोड़े बरसाए और उन्हें सेना से बर्खास्त कर दिया.
वहीं, अंग्रेजों के इस कदम से सिपाहियों का गुस्सा और बढ़ गया. दरअसल, 9 जुलाई 1806 को टीपू सुल्तान की एक बेटी की शादी वेल्लोर के किले में ही थी. 1799 में टीपू सुल्तान का निधन हो गया था और उनका परिवार ईस्ट इंडिया कंपनी की पेंशन पर ही चल रहा था. अंग्रेजों ने इस परिवार को वेल्लोर किले का एक हिस्सा रहने के लिए दे रखा था. इस शादी में विद्रोही सैनिक भी इकट्ठे हुए और फैसला किया कि किले को अंग्रेजों से मुक्त कराया जाएगा. इधर शादी खत्म हुई और उधर भारतीय सैनिक अपने प्लान को अंजाम देने में लग गए. सिपाहियों ने अपने अंग्रेज अधिकारियों को सबसे पहले निशाना बनाया.
इस दौरान विद्रोहियों ने वैल्लोर किले पर कब्जा करके 200 अंग्रेज सैनिकों को मारा और घायल कर दिया था. यह विद्रोह वेल्लोर में शुरू हुआ और एक ही दिन चला, ये बगावत 1857 की क्रांति से 51 साल पहले अंजाम दी गई. विद्रोहियों ने टीपू सुल्तान के बेटों की ताकत को फिर से मजबूत करने की कोशिश भी की थी. कई अदालतों में चले मुकदमों के बाद करीब 100 विद्रोहियों को फांसी की सजा हुई.