राम मंदिर के भवन निर्माण में बारीक से बारीक चीजों का ध्यान रखा जा रहा है इसके साथ ही किसी बड़ी प्राकृतिक आपदा अथवा विपत्ति में भी राम मंदिर को किसी तरीके का नुकसान ना हो इसका भी ध्यान रखते हुए मंदिर का डिजाइन तैयार किया जा रहा है। राममंदिर कई मामलों में स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना होगा जिसके आकार- प्रकार में तमाम बदलाव करके इसको इस प्रकार का रूप दिया जा रहा है कि यह भविष्य में एक हजार वर्षों तक गौरव का अहसास कराने के लिए तनकर खड़ा रहेगा। बड़ी से बड़ी विपत्ति प्राकृतिक आपदा यहां तक कि रिएक्टर स्केल पर 10 की तीव्रता तक आए भूकंप भी इस भवन का कुछ नहीं बिगाड़ पाएंगे। मंदिर के ढांचे को खड़ा करने से पहले मंदिर निर्माण में लगी कंपनी एलएनटी ने मंदिर को भूकंप रोधी बनाने के लिए 200 फिट गहरी नीव बनाने का निर्णय लिया है। जिसके लिए मिट्टी का परीक्षण भी किया जा रहा है।
नागर शैली में होगा मन्दिर -
प्रस्तावित राम मंदिर उत्तर भारत की प्रचलित शैली नागर से निर्मित होगा। उत्तर प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, दिल्ली, पंजाब हिमाचल, जम्मू आदि में स्थापित सभी मंदिर इसी शैली के हैं। उत्तर भारत में भगवान के सबसे ऊंचे दर्जे को ध्यान में रखते हुए सभी मंदिरों में उनका वास स्थल भव्य बनाया जाता है। जबकि प्रवेश द्वार छोटा रहता है। वहीं दक्षिण के मंदिरों में प्रवेश द्वार को काफी बड़ा रखा जाता है और भगवान का वास स्थल छोटा रहता है। वहां मान्यता है कि भगवान सूक्ष्म की तरफ जा रहे हैं, इसलिए उनका वास स्थल भी वैसा ही रहे।
वैसे तो सदियों बाद आए शुभ अवसर पर आकार की तुलना बेमानी है लेकिन हर राम भक्त को इतना यकीन है कि यह देश का सबसे भव्य मंदिर होगा। प्राकृतिक विपत्तियों से बचाने के लिए 200 फीट की खोदाई कर मिट्टी टेस्ट की गई है। इतना ही नहीं, एक बार में सिर्फ मंदिर भवन में 10 हजार से अधिक श्रद्धालु समाहित होकर रामलला के दर्शन कर पाएंगे।
टाइम कैप्सूल में सुरक्षित होंगे ऐतिहासिक दस्तावेज -
राम मंदिर को लेकर पूरा भविष्य में कभी कोई विवाद ना हो इसलिए राम मंदिर से जुड़े सारे तथ्य और दस्तावेजों को एक टाइम कैप्सूल के माध्यम से मंदिर की नींव में रखा जाएगा ताकि भविष्य में यदि राम मंदिर के ऊपर कोई सवाल खड़े हो तो वह दस्तावेज काम आ सके यह निर्णय पूर्व में कानूनी लड़ाई को देखते हुए लिया गया है।