बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी का 72 साल की उम्र में निधन हो गया. सुशील मोदी ने दिल्ली एम्स में अंतिम सांस ली. अपने साथी और दोस्त को याद करते हुए बीजेपी सांसद अश्विनी कुमार चौबे फफक-फफक कर रो पड़े.
उन्होंने कहा कि सुशील कुमार मोदी मेरे मित्र ही नहीं एक भाई के नाते मेरा उनसे पारिवारिक लगाव रहा है. मैं आज अपने ऐसे भाई को खो दिया है जो अपने व्यक्तित्व से राजनीति में उभरे. कभी-कभी मैं उनको डांट भी देता था, लेकिन वह गुस्सा नहीं होते थे.
अश्विनी कुमार चौबे ने कहा, "सुशील जी बहुत ही विनम्र व्यक्ति थे. सुशील जी कभी किसी पर गुस्सा नहीं होते थे. कभी किसी पर गुस्सा होते थे तो हमसे कहते थे चौबे जी हमने उसे डांट दिया है, कहीं गुस्सा ना हो जाए. मैंने काम के लिए डांटा था."
बात करते समय आंखों में आंसू लिए बीजेपी सांसद ने आगे कहा कि सुशील कुमार मोदी का सबके प्रति परोपकार का भाव रहता था. पार्टी के लिए उनका समर्पण भाव था. उन्होंने कहा कि कहा जाए तो वह एक कंप्यूटर थे. जब कंप्यूटर आया तो सबसे पहले उन्होंने संस्थान में जाकर कंप्यूटर सीखा. सीखे भी थे और कंप्यूटर की तरह एक-एक डाटा उनको याद भी रहता था.
अश्विनी चौबे ने कहा, "मैं कह सकता हूं कि राजनीति में ऐसे प्रखर व्यक्तित्व और समाज के अंदर हर क्षेत्र का ज्ञान रखने वाले वो व्यक्ति थे. छात्र आंदोलन में, आपातकाल में हमने देखा है. हमारे साथ आपातकाल में महीनों पीएमसीएच में रहे थे. बीमार हालत में भी वह किताब को कभी नहीं छोड़ते थे. बराबर उनका हंसी-मजाक चलता रहता था.
सुशील मोदी ने हाल ही में जानकारी दी थी कि वो कैंसर से जूझ रहे हैं. सुशील कुमार मोदी ने 3 अप्रैल को अपने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा था, "पिछले 6 माह से कैंसर से संघर्ष कर रहा हूँ. अब लगा कि लोगों को बताने का समय आ गया है. लोक सभा चुनाव में कुछ कर नहीं पाऊँगा. पीएम को सब कुछ बता दिया है. देश, बिहार और पार्टी का सदा आभार और सदैव समर्पित."वहीं उनके ये बताने के कुछ दिन बाद ही उनके निधन की खबर सामने आई. उनके निधन की खबर ने देश और राज्य को मर्माहित कर दिया है.