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21 मई : आतंकवाद विरोधी दिवस, सैनिकों के अगणित बलिदान के बाद भी चरमपंथ व वामपन्थ के वो भटके हुए मासूम

जानिए ये दिवस शुरू भी हुआ तो किस परिपेक्ष में ?

Sumant Kashyap
  • May 21 2024 8:19AM

राष्ट्र आतंकी घटनाओं से लगातार पीड़ित रहा है. आतंकी घटना का अर्थ है कि एक सोच, विचार और उन्मादी मत को ले कर गैर मज़हबी लोगो को बिना उनका लिंग, आयु आदि देखे कत्ल कर देना. एक ट्रेन जिसे विस्फोट से कोई आतंकी उड़ा देता है उसमें एक 6 माह का वो बच्चा भी कत्ल होता है जो ठीक से अपने परिवार को भी नहीं पहचानता और वो 80 साल का वृद्ध भी कत्ल होता है जो महज कुछ और दिनों का मेहमान होता है.

असल मे इसी को कहते हैं आतंकवाद क्योकि आतंकी खुश होता है कि भले ही 6 माह का बच्चा मरा ,पर वो उनके मज़हब से नहीं था.वो खुद को बहुत पुण्य कार्य मे संलिप्त मानता है और आगे तमाम महिलाओं, वृद्ध, बच्चों , युवाओं की तलाश में रहता ही जिन्हें वो कत्ल कर सके. उसके ऊपर कुछ ऐसे भी हैं जो उसको इस कार्य के लिए शाबास भी बोलते हैं. भारत इस पीड़ा से बाबर, तुगलक, नादिरशाह, तैमूर, ग़ज़नवी आदि के समय से पीड़ित रहा है क्योंकि उन्हें पता था कि भारत एक ऐसी जगह है जहाँ मूर्तियों को पूजने वाले, गौ को माता मानने वाले , सूर्य, जल आदि को अर्ध्य देने वाले लोग हैं.

आज 21 मई को मनाया जा रहा है राष्ट्रीय आतंकवाद विरोधी दिवस जिसे शुरू किया था कांग्रेस सरकार ने. हैरानी की बात ये है कि तैमूर, तुगलक को हत्यारा न माने वाली और हजारों हिंदुओं के कातिल टीपू सुल्तान को पूजने वाली उसी सरकार ने ये दिन आतंकवाद विरोधी दिवस इसलिए मानती है क्योंकि इसी दिन यानी 21 मई 1991 को उनके बड़े नेता और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की तमिलनाडु के श्रीपेरुंबुदूर में LTTE ने हत्या कर दी थी जब वो चुनाव प्रचार के सिलसिले में गए हुए थे।

वे वहां एक सभा को संबोधित करने जा ही रहे थे कि उनका स्वागत करने के लिए रास्ते में बहुत सारे प्रशंसक उन्हें फूलों की माला पहना रहे थे। इसी मौके का उठाते हुए लिट्टे ने इस घटना को अंजाम दिया था. हमलावर धनु ने एक आत्मघाती विस्फोट को अंजाम दिया था जिसमें राजीव गांधी की मौत हो गई थी.राजीव गांधी स्मृति दिवस को आतंकवाद वि‍‍रोधी दि‍वस के रूप में भी मनाया जाने लगा लेकिन टीपू सुल्तान की पूजा जारी रही, किताबो में औरंगजेब जैसे क्रूरतम जिहादी के महिमामंडन जारी रहे, और आतंकवाद के रूप में सिर्फ दो लोगो को आगे रखा गया पहला नाथूराम गोडसे और दूसरा LTTE.

कश्मीर के पत्थरबाज आज भी उनकी दॄष्टि में आतंकी नही हैं जो सैनिकों को आतंकियों से ज्यादा घाव दे रहे हैं ..यद्द्पि इस दोहरे व्यवहार को अब राष्ट्र भी समझ रहा है और वो खुद से फैसले भी ले रहा. आतंकवाद विरोधी दिवस मनाने का उद्देश्य राष्ट्रीय हितों पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभावों, आतंकवाद के कारण आम जनता को हो रही परेशानियों, आतंकी हिंसा से दूर रखना है.

इसी उद्देश्य से स्कूल-कॉलेज और वि‍श्ववि‍द्यालयों में आतंकवाद और हिं‍सा के खतरों पर परि‍चर्चा, वाद-वि‍वाद, संगोष्ठी, सेमीनार और व्याख्यान आदि‍ का आयोजन कि‍या जाता है। लेकिन सँभवतः आज आतंक के सच्चे रंग  से जनता परिचित है. इस दिल को शुरू करने वालों से यह सवाल जरूर बनता है कि आखिर उनकी दृष्टि में तुगलक कैमूर बाबर द्वारा किए गए कृत्य क्या थे? इसी के साथ यह भी जानना बेहद जरूरी हो जाता है कि जिस दिन कश्मीरी हिंदुओं का पूरी साजिश के साथ नरसंहार किया गया था वह दिन आखिर उनकी दृष्टि में क्या है?

इस देश और देशवासियों के लिए आतंकवाद विरोधी दिवस को समझना बेहद जरूरी है लेकिन इस दिवस की परिपूर्णता तब तक नहीं आ सकती जब तक आतंकवाद के वास्तविक रूप को समाज का हर वर्ग सीखते जान और समझ न ले.आतंकवाद दिवस पर आप सभी भविष्य के भारत के लिए संभल कर रहे और सतर्क रहें. स्वयं को सुरक्षित रखते हुए बाकियों को भी सुरक्षित रहने के तरीके बताएं और उन्हें आतंक के असली रूप से परिचित कराने का प्रयास करें.

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